सामान्य ज्ञान
जर्मन दार्शनिक और वैज्ञानिक जॉर्ज विलहेल्म फ्रीडरिष हेगेल का जन्म हुआ, 27 अगस्त, 1770 में हुआ था। हेगेल को आधुनिक काल के कुछ महानतम दार्शनिकों में गिना जाता है। श्टुटगार्ट शहर से उनकी पहचान वैसे ही जुड़ी है जैसे ट्रियर शहर को कार्ल मार्क्स के नाम से जाना जाता है।
श्टुटगार्ट में जन्मे फ्रीडरिष हेगेल के घर को अब संग्रहालय बना दिया गया है। यहां साल भर देश विदेश से पर्यटक और रिसर्चर पहुंचते रहते हैं। इस संग्रहालय में हेगेल के जीवन और काम से जुड़ी ढेरों सामग्री, निशानियां और दस्तावेज संभाल कर रखे गए हैं।अमीर संभ्रांत परिवार से आने वाले हेगेल तीन भाई बहनों में सबसे बड़े थे। वर्ष 1800 में ही पिता का देहांत हो जाने के बाद से हेगेल ने खुद को दर्शन को समझने में पूरी तरह झोंक दिया। उन्होंने ट्युबिंगन में पढ़ाई की जो दक्षिणी जर्मनी में हाइडलबर्ग और फ्राईबुर्ग के साथ तीन प्रमुख यूनिवर्सिटियों में से एक है। यहां श्लॉस होहेनट्युबिंगेन पुनर्जागरण काल का एक महल है जिसमें यूनिवर्सिटी बसायी गयी है। महल के ठीक नीचे इंवाजेलिक श्टिफ्ट है। इस ऐतिहासिक प्रोटेस्टेंट धर्म-केंद्र की स्थापना 1536 में की गई थी। यूनिवर्सिटी की धर्मशास्त्र फैकल्टी का ये भी एक हिस्सा है जहां हेगेल ने थियोलॉजी की पढ़ाई की।
आगे चलकर हेगेल ने जर्मनी की ही येना युनिवर्सिटी में छात्रों को पढ़ाया। येना पर नेपोलियन की सेना ने चढ़ाई कर दी थी तो हेगेल को वहां से भागना पड़ा था। भागते हुए वह अपने साथ केवल अपना प्रमुख दार्शनिक अध्ययन फेनोमेनोलोगी ही साथ ले जा सके थे। यह हेगेल का पहला प्रकाशन भी था जिसमें उन्होंने अपनी द्वंद्वात्मक विचारधारा की वकालत की।