सामान्य ज्ञान

दीन-ए-इलाही
29-Aug-2020 2:53 PM
दीन-ए-इलाही

दीन-ए-इलाही नाम से मुगल सम्राट अकबर ने एक नया धर्म बनाया जिसमें सभी धर्मों के मूल तत्वों को डाला, इसमे प्रमुखता हिंदू एवं इस्लाम धर्म थे। इनके अलावा पारसी, जैन एवं ईसाई धर्म के मूल विचारों को भी शामिल  किया। हालांकि इस धर्म के प्रचार के लिए उसने ज्यादा कुछ नही किया केवल आपने विश्वस्त लोगों को ही इसमें शामिल  किया।

कहा जाता है कि अकबर के अलावा केवल राजा बीरबल ही मृत्यु तक इस के अनुयायी थे। दबेस्तान-ऐ-मजहब के अनुसार अकबर के पश्चात केवल 19 लोगों ने एस धर्म को अपनाया। कालांतर में अकबर ने एक नए पंचांग की रचना की जिसमें की उसने एक ईश्वरीय संवत को आरम्भ किया जो अकबर की राज्याभिषेक के दिन से प्रारम्भ होती था। उसने तत्कालीन सिक्कों के पीछे अल्लाहु-अकबर लिखवाया जो अनेकार्थी शब्द था। अकबर का शाब्दिक अर्थ है महान और अल्लाहु-अकबर शब्द के दो अर्थ हो सकते थे-अल्लाह महान हैं  या अकबर ही अल्लाह हैं।  दीन-ऐ-इलाही सही मायनो में धर्म न होकर एक आचार सहिंता समान था। इसमें भोग,घमंड,निंदा करना या दोष लगाना वर्जित थे एवं इन्हे पाप कहा गया। दया,विचारशीलता,और संयम इसके आधार स्तम्भ थे।
 

क्या है  कैपिटल गेंस

कैपिटल गेंस तब होता है जब इनवेस्टर किसी असेट को प्रॉफिट पर सेल करता है। इनकम टैक्स लॉ में कैपिटल असेट्स को डिफाइन किया गया है और कहा गया है कि इनवेस्टर को शॉर्टर लॉन्ग टर्म गेंस पर लागू टैक्स देना होगा। कैपिटल असेट के होल्डिंग पीरियड से उसके क्लासिफिकेशन के बारे में पता चलता है। इनवेस्टर्स को किसी फाइनैंशल ईयर के सभी कैपिटल गेंस को बही खाते में दर्ज करना होता है और इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने से पहले उस पर लागू टैक्स पेमेंट करना होता है।

 कैपिटल गेंस टैक्स कैपिटल असेट की सेल पर देना होता है। यह टैक्स रेट और असेट के मिनिमम होल्डिंग पीरियड पर डिपेंड करता है। अगर किसी असेट की सेल पर गेंस होता है तो उस पर टैक्स की देनदारी बनती है। टैक्स लायबिलिटी का पता लगाने के लिए फाइनैंशल ईयर के सभी ट्रांजैक्शन को ऐड करना होता है। मल्टीपल ट्रांजैक्शन में फर्स्ट इन फर्स्ट आउट रूल लागू होगा, मतलब जो असेट पहले खरीदा गया है वह पहले बिका माना जाएगा। जो इंडिविजुअल्स टैक्स परपज से अपने अकाउंट का ऑडिट कराते हैं उनको कैपिटल गेंस टैक्स अडवांस टैक्स के तौर पर चुकाना होता है। बाकी मामलों में यह इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग से पहले सेल्फ असेसमेंट टैक्स के तौर पर चुकाया जाता है। कैपिटल लॉस को कैपिटल गेंस से सेट ऑफ किया जा सकता है। लेकिन इसके जरूरी हेै कि रिटर्न टाइम पर भर गया हो। रिटर्न फाइल करने में देरी होने पर वह इसका फायदा नहीं ले पाएगा। जिन मामलों में एसटीटी चुकाया जाता है, उनमें टैक्स रेट जीरो या बहुत कम होता है। इनवेस्टर के लिए एसटीटी पेमेंट का प्रूफ रखना जरूरी है।
 

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