सामान्य ज्ञान
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) 50 साल का होने जा रहा है। यूरोपीय संघ के ज्यादातर देश इसके सदस्य हैं। संघ के अलावा जर्मनी और फ्रांस इसे वित्तीय मदद देते हैं। इन 50 बरसों ने इस संस्था ने कई सफलताएं देखीं।
सैटेलाइट सीओएस-बी के साथ ईएसए ने अंतरिक्ष मिशन की शुरुआत की। यह 1975 से 1982 तक चला। इसका नाम कॉसमिक रे सैटेलाइट पर पड़ा। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष में गामा किरणों के बारे में पता लगाना था। जब रेडियोधर्मी तत्व विघटित होते हैं, तो गामा किरणें निकलती हैं। साल 1985 में, ईएसए ने अंतरिक्ष में बड़ी धूम मचाई। इसके जिएटो स्पेसक्राफ्ट ने हेली कॉमेट के बारे में भी रिसर्च की, जो हर 76 साल पर धरती का चक्कर लगाता है। इस कॉमेट के बारे में इतालवी पेंटर जिएटो डी बोंडोन ने 14वीं सदी में बताया था।
पांच साल बाद 1990 में ईएसए ने उलिसेस यान भेजा, जिसका काम सूरज का परीक्षण करना था। यह सूरज के धु्रवों, उसके चुंबकीय गुणों और सौर पवन के बारे में जानना चाहता था। यह प्रोजेक्ट अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ किया गया।नासा के साथ ही एक दूसरा प्रोजेक्ट में हबल टेलिस्कोप है। पिछले दो दशक में हबल टेलिस्कोप ने शानदार तस्वीरें भेजी हैं। यह अभी भी काम कर रहा है और 2018 तक काम करता रहेगा। इस दौरान कुछ और तस्वीरें आने की उम्मीद है। यूरोपीय अंतरिक्ष का अड्डा फ्रेंच गुयाना के कौरू में है, जहां से रोकेट छोड़े जाते हैं, लेकिन 1997 में इसे बड़ी नाकामी हाथ लगी, जब आरियाना रॉकेट का प्रक्षेपण नाकाम हो गया। सॉफ्टवेयर की गड़बड़ी से यह विखंडित हो गया। अमेरिकी एजेंसी के साथ मिल कर ईएसए बड़े अंतरिक्ष प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। लगभग 18 साल की यात्रा के बाद हुइजेन्स यान शनि ग्रह के सबसे बड़े उपग्रह टाइटन पर उतरा। इसने 2005 में टाइटन की तस्वीरें लीं और कुछ रासायनिक प्रतिक्रियाएं भी कीं।
इससे पहले यूरोपीय स्पेस एजेंसी लाल ग्रह यानि मंगल पर भी पहुंच चुकी है। इसने 2003 में पहला मंगल प्रोजेक्ट शुरू किया। यह वहां पानी ढूंढने की कोशिश कर रहा है और यह काम अब भी चल रहा है। क्रियोसैट नाम के यान से धु्रवीय बर्फ की मोटाई नापने की कोशिश की गई, लेकिन नेविगेशन में गड़बड़ी की वजह से सैटेलाइट अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाई और 2005 में क्रैश होकर आर्कटिक सागर में जा गिरी । उम्मीद जताई जा रही है कि गैलेलियो से बिलकुल सटीक नेविगेशन आंकड़े जुटाए जा सकते हैं। समझा जाता है कि यह यूरोपीय उपकरण अमेरिकी सिस्टम से भी बेहतर है। गैलेलियो ईएसए और यूरोपीय संघ का संयुक्त प्रोजेक्ट है, जिसमें कई उपग्रह शामिल हैंरडार की मदद से सैटेलाइट धरती को 700 किलोमीटर की ऊंचाई से परखती हैं। इसके आंकड़े आसानी से उपलब्ध हैं। इन आंकड़ों से खराब मौसम के बारे में पहले से अनुमान लगाया जा सकता है । ईएसए ने 2008 में अपनी अंतरिक्ष प्रयोगशाला कोलंबस भेजी, जो अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से जुड़ गई। इस प्रयोगशाला में अंतरिक्ष वैज्ञानिक दुनिया भर की गुत्थियों को सुलझाने की कोशिश में लगे हैं। रोसेटा नाम के प्रोजेक्ट के तहत 10 साल की उड़ान भरने के बाद यह यान अपना एक लैंडर 67पी/चुरयुमोव-गेरासिमेंको पर उतारेगा। यह एक बेहद महत्वाकांक्षी योजना है।
गैलइम आर्सेनाइड
गैलइम आर्सेनाइड दो धातुओं गैलइम और आर्सेनिक का योग है। यह एक महत्वपूर्ण पदार्थ है , जिसका प्रयोग अद्र्धचालक पदार्थ जैसे सूक्ष्म तरंग माइक्रोप्रोसेसर, अवरक्त प्रकाश , सत्सर्जक डायोड, लेजर डायोड और फोटोसेल बनाने में होता है।