सामान्य ज्ञान
भारत के ग्रामीण विकास में स्वयंसेवी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है जो समुदाय और व्यक्तियों के बीच बदलाव की पहल और विशिष्ट मुद्दों के प्रत्यक्ष कार्यान्वयन के जरिए कार्य करता है। कपार्ट (लोक कार्यक्रम और ग्रामीण प्रौद्योगिकी विकास परिषद) ग्रामीण विकास मंत्रालय के निर्देशों के अंतर्गत कार्य करता है। आज यह संस्था भारत में ग्रामीण विकास को फैलाने में बड़ा योगदान करती है। पूरे देश में 12 हजार स्वयंसेवी संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर विकास कार्यक्रमों को आरंभ किया गया है।
कपार्ट की स्थापना दो एजेंसियों को मिला कर हुई हैं -काउंसिल ऑफ एडवांसमेंट फॉर रूरल टेक्नोलॉजी (सीएआरटी) तथा पीपल्स एक्शन फॉर डेवलपमेंट (पीएआईडी)। कपार्ट 1980 के संस्था पंजीकरण अधिनियम के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था मानी गई।
कपार्ट की सप्तम योजना के प्रस्तुतीकरण में स्वयंसेवी क्षेत्र की संस्थाओं को 1986 में औपचारिक पहचान मिली जब ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में सहायक सरकारी तथा स्वयंसेवी क्षेत्र के संगठनों के बीच सहायक समितियों के वर्गीकरण तथा सामंजस्य के लिए सहयोग किया गया।
कपार्ट ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यप्रणाली के सुधार का उद्देश्य लेकर कार्यरत है, विशेष रूप समाज के दलित तथा सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए । इसलिए गरीबी रेखा के स्तर से नीचे वाले लोगों, अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लोगों, बंधुआ मज़दूरों, अपंगों, बच्चों तथा स्त्रियों को प्रमुखता देना कपार्ट का प्रमुख उद्देश्य है।
प्रकाश चक्र
वैसी काल्पनिक रेखा जो पृथ्वी के प्रकाशित और अप्रकाशित भाग को बांटती है। पृथ्वी के परिभ्रमण की दिशा पश्चिम से पूर्व है। जिस कक्षा में पृथ्वी सूर्य की परिक्रम करती है, वह दीर्घवृत्तीय है। अत: 3 जनवरी को सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी अपेक्षाकृत कम हो जाती है, जिस उपसौरिक की स्थिति कहते हैं। यह दूरी 9.15 करोड़ मील है। इसके विपरीत उत्तरायण की स्थिति में 4 जुलाई को पृथ्वी सूर्य से कुछ दूर चली जाती है, इसको अपसौरिक कहते हैं। यह दूरी 9.45 करोड़ मील होती है।