सामान्य ज्ञान
प्रवासी भारतीय बीमा योजना के तहत विदेशों में रोजगार के लिए प्रवासियों के संरक्षकों (पीओई) द्वारा विदेशगमन की अनुमति मिलने के बाद रोजगार के लिए विदेश गये भारतीय प्रवासी की मृत्यु अथवा विकलांगता पर नामित/आधिकारिक व्यक्ति को 10 लाख रूपये का जीवनबीमा दिया जाता है।
जीवनबीमा पॉलीसी दो साल अथवा रोजगार अवधि, जो अधिक हो, उस तक के लिए मान्य होगा। मृत्यु होने की दशा में वापस आने के लिए इकानॉमिक श्रेणी के हवाई टिकट की प्रतिपूर्ति भी जीवन बीमा कम्पनी के द्वारा की जाती है। इसके अलावा, कामगारों के अस्पताल में भर्ती होने की दशा में 75 हजार रूपये तथा भारत में प्रवासी कामगारों के परिवार वालों के अस्पताल में भर्ती होने पर 50 हजार रूपये की मेडिकल बीमा भी मुहैया कराई जाती है। महिला प्रवासियों को 25 हजार रूपये की मातृत्व लाभ की सुविधा भी मिलती है। इसके साथ प्रवासियों को निर्धारित मानक पर कानूनी खर्च के लिए जीवनबीमा पॉलीसी में 30 हजार रूपये की सुविधा उपलब्ध है। पीबीबीवाई पॉलीसी के लिए 275 रूपये और 375 रूपये सर्विस टैक्स के साथ क्रमश: 2 और 3 साल तक प्रीमियम देना होता है।
कपिल ऋषि
कपिल को वैदिक ऋषि माना जाता है, जिन्हें अक्सर अन्य ऋषियों के साथ (विशेष रूप से आसुरी), वैदिक दर्शन की विधाओं में से एक सांख्य प्रणाली का संस्थापक माना जाता है। लेकिन वह उस मूल पुस्तक ईश्वरकृष्णकृत सांख्य-कारिका के लेखक नहीं हैं, जो दर्शन को उसकी दार्शनिक परिभाषा दोने के लिए मूल रूप से जिम्मेदार हैं।
हिन्दू स्रोतों के अनुसार, कपिल प्रथम पुरुष मनु के उत्तराधिकारी और सृष्टिï के रचयिता ब्रम्हा के पौत्र थे या विष्णु के अवतार थे। भगवद्गीता में उन्हें यौगिक सिद्ध से संबद्ध एकांतवासी बताया गया है। कपिल के सांख्य दर्शन का पूरी हिन्दू परम्परा पर काफी प्रभाव पड़ा, विशेष रूप से योग से इसकी घनिष्ठï संबद्धता के कारण, जो कपिल के संन्यासी व्यक्तित्व का प्रतिबिंब है। उदाहरणस्वरूप, सांख्य भगवद्गीता की दार्शनिक पृष्ठïभूमि के काफी बड़े हिस्से में है।
पौराणिक कथाओं में कपिल यौगिक संयम के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किये जाते हैं। कहा जाता है कि तप के कारण उनके भीतर ऐसे तीव्र ताप का आंतरिक स्रोत पैदा हो गया था जिससे सगर के 60 हजार पुत्र जलकर राख हो गए। उन्हीं के उद्धार के लिए ही सगर के वंशज भागीरथ ने कठोर तप कर स्वर्ग से गंगा को धरती पर उतारा था।