सामान्य ज्ञान

एनस्टेटाइट उपरत्न
03-Sep-2020 11:14 AM
एनस्टेटाइट उपरत्न

एनस्टेटाइट उपरत्न की खोज सर्वप्रथम 1855 में जी.ए.केनगोट द्वारा की गई थी। इस उपरत्न का यह नाम ग्रीक शब्द  एनस्टेट  से लिया गया है जिसका अर्थ घटक अथवा अवयव है। यह उपरत्न प्रोक्सीन समूह का खनिज है। इस उपरत्न के प्रिज्मीय दरार की दो दिशाओं के कारण यह एक कठोर उपरत्न है। इस उपरत्न को आसानी से पिघलाया नहीं जा सकता है। यह उपरत्न पन्ना रत्न की तरह  दिखने वाला उपरत्न है। मैग्नेशियम की उपस्थिति के कारण कई बार यह गहरा हरा दिखाई देता है। इस उपरत्न में शीशे जैसी चमक तथा चिकनाई होती है।
 भारत में मैसूर स्थान में पाया जाने वाला यह उपरत्न गहरे भूरे रंग में अपनी अद्भुत क्षमता तथा गुणों के कारण लोकप्रिय है। यह उपरत्न प्रचुरता से नहीं पाया जाता है। साधारण लोग इसके विषय में नहीं जानते हैं। इसलिए यह उपरत्न पर जानकारी कम उपलब्ध है। इस उपरत्न की सबसे अधिक मांग क्रोम एन्स्टेटाइट के रुप में की जाती है, जो कि हरे पन्ने के गुणों से मिलता है। यह उपरत्न  सामान्यतया कायांतरित तथा आग्नेय चट्टानों के मध्य पाया जाता है।

 यह केवल रत्नों को जमा करने वालों के  बीच लोकप्रिय है। इसलिए इसे गहनों के रुप में उपयोग में कम ही लाया जाता है। पृथ्वी के रंग से मिलते हुए भूरे रंग में इस उपरत्न को अधिक पसन्द किया जाता है। इसलिए केवल इसी रंग को गहनों के रुप में उपयोग में लाया जाता है।

माना जाता है कि एनस्टेटाइट  धारक में निष्ठा तथा विश्वास की भावना का विकास करता  है।  याद्दाश्त में वृद्धि करता है। सभी ऊर्जाओं को सुचारु रुप से संचारित करता है।  यह उपरत्न गहरे रंग में पाया जाता है। गहरे भूरे रंग में लाल रंग की आभा लिए मिलता है। हरे रंग में भूरे रंग की चमक लिए पाया जाता है। पीला तथा हरे रंग के मिश्रण में पाया जाता है। रंगहीन अवस्था में भी यह उपरत्न पाया जाता है लेकिन इस अवस्था में यह बहुत ही दुर्लभ रुर में पाया जाता है। भूरे रंग  और  ग्रे रंग ,नारंगी-भूरे रंग में भी यह उपरत्न पाया जाता है।

यह उपरत्न मुख्य रुप से भारत तथा श्रीलंका में पाया जाता है। यहां पाया जाने वाला एनस्टेटाइट बाकी स्थानों से अधिक चमकीला होता है। इसके अतिरिक्त यह उपरत्न दक्षिण अफ्रीका, भूरे-हरे रंग में यह म्यांमार, नॉर्वे, कैलीफोर्निया, में पाया जाता है। स्वीटजऱलैण्ड, ग्रीनलैण्ड, स्कॉटलैण्ड, जापान, रूस, तंजानिया, केन्या, जर्मनी, फ्रांस, आस्ट्रिया, ब्राजील, कनाडा, पूर्वी अफ्रीका आदि देशों में पाया जाता है। 
 

स्मोक डिटेक्टर
धुआं सूंघक या स्मोक डिटेक्टर आग से बचाव के लिए इस्तेमाल में लाया जाने वाला एक छोटा सा उपकरण है । घरों, बहुमंजि़ली इमारतों, होटलों और शॉपिंग मालों में आग से सावधान करने के लिए इनका महत्वपूर्ण योगदान है।   इसे 9-12 वोल्ट की बैटरी से चलाया जा सकता है। इसके दो भाग होते हैं— एक तो मुख्य यंत्र जो धुआं संूघता है और दूसरा एक जोरदार हार्न या अलार्म जिसका काम होता है लोगों को चेताना।
स्मोक डिटेक्टर दो तरह के हो सकते हैं— फ़ोटोइलेक्ट्रिक सूंघक और आयोनाइज़ेशन सूंघक।  
 

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