सामान्य ज्ञान
4 सितंबर वर्ष 1825 को भारत के स्वतंत्रता सेनानी दादा भाई नौरोज़ी का जन्म गुजरात के नवसारी में एक गरीब परिवार में हुआ था लेकिन समस्त समस्याओं पर विजय प्राप्त करके उन्होंने शिक्षा ग्रहण की और मात्र 25 वर्ष की आयु में एलफिनस्टोन इंस्टीट्यूट में लीडिंग प्रोफेसर के तौर पर नियुक्त होने वाले पहले भारतीय बने।
दादा भाई नौरोज़ी को भारतीय राजनीति का ग्रैंड ओल्डमैन कहा जाता है। वे पहले भारतीय थे जिन्हें एलफिंस्टन कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति मिली। उन्होंने शिक्षा के विकास, सामाजिक उत्थान और परोपकार के लिए बहुत-सी संस्थाओं को प्रोत्साहित करने में अपना योगदान दिया। दादा भाई नौरोजी प्रसिद्ध साप्ताहिक रास्त गोफ्तार के संपादक भी रहे। उन्होंने 1906 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन की अध्यक्षता की और इस अधिवेशन में उन्होंने ब्रिटेन से भारत की पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की। दादा हाई नौरोजी गोपाल कृष्ण गोखले और महात्मा गांधी के सलाहकार भी थे। नौरोजी का 30 जून 1917 को 92 वर्ष की उम्र में मुम्बई में निधन हो गया।
इम्पीरियल लेजिस्लेटिव कौंसिल
ब्रिटिश शासन काल में भारत के वाइसराय की कार्यकारिणी समिति का नाम था-इम्पीरियल लेजिस्लेटिव कौंसिल। इसकी स्थापना 1861 ई. में की गई थी । पटियाला, बनारस तथा ग्वालियर रियासतों के राजा इसके प्रथम भारतीय सदस्य थे।
6 सदस्यों से आरंभ होकर 1909 ई. में इसकी सदस्य संख्या 60 हो गई और इस संस्था का नाम इंडियन लेजिस्लेटिव कौंसिल कर दिया गया। 1919 में इसे असेम्बली का रूप देकर इसकी सदस्य संख्या 145 कर दी गई। इसके साथ ही संस्था के अधिकारों में भी वृद्घि होती गई।