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राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना
05-Sep-2020 11:54 AM
राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना

राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना कम विकसित क्षेत्रों के विकास के लिए एक फ्लैगशिप कार्यक्रम है। समर्पित क्षेत्रीय कार्यक्रमों जैसे पूर्वोत्तर के लिए विशेष त्वरित सडक़ विकास कार्यक्रम और नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष कायक्रम शुरू किए गए हैं। अब देश में एक्सप्रेस-वे बनाने की योजना है। चालू वित्त वर्ष में तीन परियोजनाएं-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पूर्वी सीमावर्ती एक्सप्रेस-वे, मेरठ एक्सप्रेस-वे और लगभग छह सौ 50 किलोमीटर लंबा मुंबई-वडोदरा एक्सप्रेस-वे शुरू करने की योजना है। बंगलुरू-चेन्न्ई और दिल्ली-जयपुर एक्सप्रेस-वे मार्गों का निर्माण भी प्रगति पर है। ये सभी एक्सप्रेस-वे मार्ग हरित परियोजनाएं हैं।

धनराशि की विशाल आवश्यकता को पूरा करने के लिए वित्त-पोषण और वित्तीय नीतियों के नए तरीकों जैसे ईंधन पर उप-शुल्क, विदेशी निवेश सहित निजी क्षेत्र की भागीदारी, बाजार से ऋण तथा बजट में व्यवस्था जैसे नए तरीके अपनाए गए हैं। इनमें एक बड़ा कदम सरकार-निजी क्षेत्र भागीदारी के जरिए विदेशी तथा घरेलू निवेश को आकर्षित करना है। निजी क्षेत्र में भागीदारी से आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बढ़ेगा, जिससे कार्य कुशलता बढ़ेगी। निजी क्षेत्र में खरीद के लिए और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में अधिक लचीली व्यवस्था है। इसलिए योजनाओं को तेजी से पूरा किया जा सकेगा। निजी क्षेत्र से पूंजी जुटाने के कारण सरकार के लिए अपने सीमित संसाधनों को अधिक कुशलता और कारगर ढंग से इस्तेमाल करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। सडक़ निर्माण में कई नई प्रकार की सामग्री भी आ रही है, इसकी कम लागत को ध्यान में रखते हुए इसे बढ़ावा देना होगा।

देश में राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के लिए 12वीं पंचवर्षीय योजना में बजट में 14 लाख 4 हजार 769 करोड़ रूपये की व्यवस्था रखी गई है, 64 हजार 834 करोड़ रूपये आईईबीआर से और 1 करोड़ 87 हजार 995 करोड़ रूपये निजी क्षेत्र की भागीदारी से जुटाए जाएंगे।

राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास के लिए देश में राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम की 1998 में शुरूआत की गई थी, जो सडक़ विकास की अब तक की सबसे बड़ी परियोजना है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लगभग 50 हजार किलोमीटर लंबाई के राजमार्गों का निर्माण करना है। चार महानगरों के बीच चार लेन वाले राजमार्ग की कंनेक्टीविटी वाली स्वर्ण चतुर्भुज परियोजना पूरी हो गई है, जबकि उत्तर-दक्षिण-पूर्व-पश्चिम कॉरीडोर परियोजना पूरी होने वाली है। भूमि अधिग्रहण की रूकावटों, पर्यावरण और वन संबंधी आपत्तियों और उच्च लागत वाले ऋण आदि बाधाओं के बावजूद कई स्थानों पर राजमार्गों को चार लेन और छह लेन का करने का कार्य प्रगति पर है। अब तक 21 हजार किलोमीटर से अधिक मार्ग पर काम पूरा हो चुका है और लगभग 12 हजार 350 किलोमीटर मार्ग पर काम चल रहा है। अन्य फ्लैगशिप क्षेत्रीय कार्यक्रमों में एसएआरडी-एनए और नक्सवाद प्रभावित क्षेत्र में लगभग 12 हजार किलोमीटर लंबाई की सडक़ें बनाने का कार्यक्रम है। जिनमें से लगभग 3 हजार 800 किलोमीटर लंबी सडक़ें बनाई जा चुकी हैं। 
 

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