सामान्य ज्ञान
दक्षिण भारत के राज्य केरल में सबरीमाला में अय्यप्पा स्वामी मंदिर है। इस मंदिर के पास मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में रह रहकर यहां एक ज्योति दिखती है। इस ज्योति के दर्शन के लिए दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु हर साल आते है। हर साल नवंबर मध्य से भगवान अय्यप्पा मंदिर कीे तीर्थयात्रा शुरू हो जाती है।
कई शताब्दियों से सबरीमाला तीर्थस्थल पूरे भारत खासतौर से दक्षिण भारत के राज्यों के लाखों लोगों को आकर्षित करता रहा है। यहां सबसे पहले भगवान अय्यप्पा के दर्शन होते हैं, जिन्हें धर्म सृष्टा के रूप में भी जाना जाता है. इन्हें वैष्ण्वों और शैवों के बीच एकता के प्रतीके के रूप में देखा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इन्होंने अपने लक्ष्य को पूरा किया था और सबरीमाल में इन्हें दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
भगवान अय्यप्पा का यह मंदिर करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है और यहां विराजते हैं भगवान अय्यप्पा। इनकी कहानी भी बहुत अनूठी है। अय्यप्पा का एक नाम हरिहरपुत्र है। हरि यानी विष्णु और हर यानी शिव के पुत्र। हरि के मोहनी रूप को ही अय्यप्पा की मां माना जाता है। सबरीमाला का नाम शबरी के नाम पर पड़ा है ।
इतिहासकारों के मुताबिक, पंडालम के राजा राजशेखर ने अय्यप्पा को पुत्र के रूप में गोद लिया, लेकिन भगवान अय्यप्पा को ये सब अच्छा नहीं लगा और वो महल छोडक़र चले गए। आज भी यह प्रथा है कि हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर पंडालम राजमहल से अय्यप्पा के आभूषणों को संदूकों में रखकर एक भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है, जो नब्बे किलोमीटर की यात्रा तय करके तीन दिन में सबरीमाला पहुंचती है। कहा जाता है इसी दिन यहां एक निराली घटना होती है। पहाड़ी की कांतामाला चोटी पर असाधारण चमक वाली ज्योति दिखलाई देती है।
हर साल पंद्रह नवंबर का मंडलम और चौदह जनवरी की मकर विलक्कू ये सबरीमाला के प्रमुख उत्सव हैं। मलयालम पंचांग के पहले पांच दिनों और विशु माह यानी अप्रैल में ही इस मंदिर के पट खोले जाते हैं। उत्सव के दौरान भक्त घी से प्रभु अय्यप्पा की मूर्ति का अभिषेक करते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को स्वामी तत्वमसी के नाम से संबोधित किया जाता है। उन्हें कुछ बातों का खास ख्याल रखना पड़ता है। इस समय श्रद्धालुओं को तामसिक प्रवृत्तियों और मांसाहार से बचना पड़ता है। इस मंदिर में सभी जाति के लोग जा सकते हैं, लेकिन दस साल से पचास साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर मनाही है।
नवंबर से जनवरी के बीच करीब चार करोड़ भक्त मंदिर में भगवान के दर्शन करने आते हैं और इस दौरान यहां करोड़ों रुपये का चढ़ावा आता है। ये आमदनी ‘अरवाना’ प्रसाद यानी गुड़ का प्रसाद बेचने से, ‘अप्पम’ और कनिक्का से होती है। सबरीमाला में स्थित इस मंदिर प्रवंधन का कार्य इस समय त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड देखती है। कुछ समय पहले केरल हाई कोर्ट ने सबरीमाला में भगवान अय्यप्पा मंदिर का प्रबंधन देखने वाले त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड को प्रसाद की दरें संशोधित करने की मंजूरी प्रदान कर दी। समय-समय पर प्रसाद की दरों में संशोधन किया जाता है।