सामान्य ज्ञान
ब्रजमण्डल के द्वादशवनों में चतुर्थवन काम्यवन प्रमुख है। यह ब्रजमण्डल के सर्वोत्तम वनों में से एक हैं। इस वन की परिक्रमा करने वाला सौभाग्यवान व्यक्ति ब्रजधाम में पूजनीय माना जाता है।
माना जाता है कि इस काम्यवन में श्रीकृष्ण ने बहुत सी बालक्रीड़ाएं की थीं। इस वन के कामादि सरोवरों में स्नान करने मात्र से सब प्रकार की कामनाएं यहां तक कि कृष्ण की प्रेममयी सेवा की कामना भी पूर्ण हो जाती है। यहां छोटे-बड़े असंख्य कुण्ड और तीर्थ हंै। इस वन की परिक्रमा चौदह मील की है। विमलकुण्ड यहां का प्रसिद्ध तीर्थ या कुण्ड है।
यहां का श्रीवृन्दादेवी और श्रीगोविन्ददेव मंदिर काम्यवन का सर्वाधिक प्रसिद्ध मन्दिर है। यहां वृन्दादेवी के दर्शन होते हंै, जो ब्रजमण्डल में कहीं अन्यत्र दुर्लभ है।
काम्यवन में सात दरवाजे हैं-
1. डीग दरवाजा- काम्यवन के अग्नि कोण में (दक्षिण-पूर्व दिशा में) अवस्थित है। यहां से डीग (दीर्घपुर) और भरतपुर जाने का रास्ता है।
2. लंका दरवाजा- यह काम्यवन गांव के दक्षिण कोण में स्थित है। यहां से सेतुबन्ध कुण्ड की ओर जाने का मार्ग है।
3. आमेर दरवाजा- काम्यवन गांव के नैऋत कोण में (दक्षिण-पश्चिम दिशा में) स्थित है। यहां से चरण पहाड़ी जाने का मार्ग है।
4. देवी दरवाजा- यह काम्यवन गांव के पश्चिम में स्थित है। यहां से वैष्णवीदेवी (पंजाब) जाने का मार्ग है।
5. दिल्ली दरवाजा- यह काम्यवन के उत्तर में स्थित है। यहां से दिल्ली जाने का मार्ग है।
6. रामजी दरवाजा- यह दरवाजा गांव के ईशान कोण में स्थित है। यहां से नन्दगांव जाने का मार्ग है।
7. मथुरा दरवाजा- यह गांव के पूर्व में स्थित है। यहां से बरसाना होकर मथुरा जाने का मार्ग है।