सामान्य ज्ञान
तंजावुर (तमिलनाडु राज्य) से 32 किमी. दूर स्वामी मलई उन छह मंदिरों में से एक है जो भगवान मुरुगन को समर्पित है। भगवान मुरुगन ने ऊं मंत्र का उच्चारण किया था और इसलिए उनका नाम स्वामीनाथम पड़ गया। मंदिर की 60 सीढिय़ां तमिल पंचांग के 60 वर्षो की परिचायक हैं। प्रत्येक गुरुवार, स्वामीनाथ को विशेष प्रकार से सजाया जाता है।
हरा सोना
ग्रीन स्टोन को हरा सोना कहा जाता है। सदियों से ग्रीन स्टोन का इस्तेमाल हथियार, औजार और गहने बनाने में होता आया है। यह कीमती हरा पत्थर केवल न्यूजीलैंड में ही पाया जाता है और कानूनन इस पर केवल यहां के माओरी समुदाय का ही हक है।
न्यूजीलैंड के पश्चिमी तट पर होकिटिका शहर को हरे पत्थर का गढ़ माना जाता है। यहां से करीब 250 किलोमीटर दूर क्राइस्टचर्च में ग्रीनस्टोन की नक्काशी होती है। इसे स्थानीय माओरी लोगों की बोली में पोनामू कहा जाता है। इस छोटे से शहर क्राइस्टचर्च में ऐसी कई दुकानें हैं जहां ग्रीनस्टोन पर काम किया जाता है। वर्कशॉप में छोटी बड़ी कई घिसाई की मशीनें लगी होती हैं जहां इस हरे पत्थर को घिस कर काम लायक बनाया जाता है.ग्रीन स्टोन को माओरी लोग पवित्र मानते हैं। इससे वे रोजमर्रा की कई चीजें जैसे कुल्हाड़ी और कंघी बनाते हैं। इसके अलावा इस हरे सोने से गहने भी बनाए जाते हैं।
यह पत्थर हरे रंग के कई हल्के गहरे शेड में मिलते हैं। ग्रीनस्टोन बेहद कठोर होते हैं इसलिए इन्हें घिसने के लिए भी वैसे ही औजार इस्तेमाल किए जाते हैं जैसे हीरे की घिसाई के लिए। पत्थर को पॉलिश करने के लिए तेल के इस्तेमाल के साथ साथ बहुत सारा समय और धैर्य भी लगता है। हर पत्थर को सर्टिफाई किया जाता है जिससे इसकी उत्पत्ति के बारे में पता चलता है।
होकिटिका शहर के कारीगर चीन से पहुंच रहे कई सस्ते जेड पत्थर उत्पादों के बीच अपने मूल पत्थरों को बचाने को अपनी सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा मानते हैं। होकिटिका शहर से 10 किलोमीटर दूर पूर्वोत्तर में बहने वाली आराहुरा नदी की माओरी लोगों में बड़ी मान्यता है। वह उनके लिए आध्यात्मिक स्थान है और यही ग्रीन स्टोन मिलने की मुख्य जगह भी है। माओरी लोगों में जेड पत्थर की उत्पत्ति से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। एक कहानी पुतिनी की है जिसे एक शादीशुदा शख्स वाइतैइकी से प्यार हो गया। अपने पति के गुस्से के डर से पुतिनी ने अपने प्रेमी को अपने आंसुओं से ग्रीनस्टोन में बदल दिया। ज्यादातर माओरी परिवारों में जेड पत्थर संभाल के रखा जाता है और पारिवारिक धरोहर के रूप में एक से दूसरी पीढ़ी में पहुंचता है। हर एक ग्रीनस्टोन को माओरी पंजीकृत करते हैं और उसे एक नंबर से सर्टिफाई करते हैं। सन 1997 में न्यूजीलैंड सरकार ने निर्णय किया कि सभी ग्रीनस्टोन्स पर साउथ आइलैंड के सबसे बड़े कबीले नगाई ताहू का अधिकार है, जो कि माओरी लोगों का सबसे बड़ा समुदाय है।