सामान्य ज्ञान
अमरीका, ब्रिटेन, जापान, फ्रांस, कनाडा, सिंगापुर, चीन जैसे देशों में महंगाई की दर खुदरा मूल्य सूचकांक के आधार पर तय की जाती है। इस सूचकांक में आम उपभोक्ता जो सामान या सेवा खऱीदते हैं उसकी क़ीमतें शामिल होती हैं। इसलिए अर्थशास्त्रियों के एक तबके का कहना है कि भारत को भी इसी आधार पर महंगाई दर की गणना करनी चाहिए जो आम लोगों के लिहाज़ से ज़्यादा सटीक होगी। भारत में ख़ुदरा मूल्य सूचकांक औद्योगिक कामगारों, शहरी मज़दूरों, कृषि मज़दूरों और ग्रामीण मज़दूरों के लिए अलग-अलग निकाला जाता है लेकिन ये आंकड़ा हमेशा लगभग एक साल पुराना होता है।
भारत में थोक मूल्य सूचकांक को आधार मान कर महंगाई दर की गणना होती है। हालांकि थोक मूल्य और ख़ुदरा मूल्य में काफी अंतर होने के कारण इस विधि को कुछ लोग सही नहीं मानते हैं। थोक मूल्य सूचकांक के लिये एक आधार वर्ष होता है। भारत में अभी 1993-94 के आधार वर्ष के मुताबिक थोक मूल्य सूचकांक की गणना हो रही है। इसके अलावा वस्तुओं का एक समूह होता है जिनके औसत मूल्य का उतार-चढ़ाव थोक मूल्य सूचकांक के उतार-चढ़ाव को निर्धारित करता है। अगर भारत की बात करें तो यहां थोक मूल्य सूचकांक में 435 पदार्थों को शामिल किया गया है। जिनमें खाद्यान्न, धातु, ईंधन, रसायन आदि हर तरह के पदार्थ हैं और इनके चयन में कोशिश की जाती है कि ये अर्थव्यवस्था के हर पहलू का प्रतिनिधित्व करें। आधार वर्ष के लिए सभी 435 सामानों का सूचकांक 100 मान लिया जाता है।
बहमनी राज्य
दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक से असंतुष्टï दक्षिण के मुस्लिम अमीरों ने दक्षिण भारत में एक मुस्लिम राज्य की स्थापना की। इन अमीरों के नायक हसन गंगू ने अलाउद्दीन बहमन शाह के नाम से 1347 ई. में सत्ता ग्रहण की और गुलबर्गा को अपनी राजधानी बनाया।
विद्वान और शक्तिशाली शासक फिरोजशाह बहमनी राज्य का प्रसिद्ध शासक था। 1417 ई. में रूसी यात्रा निकीतिन ने बहमनी राज्य की यात्रा की थी। बहमनी राज्य में गोलकुण्डा में हीरे की खान और रायचूर दोआब का उपजाऊ क्षेत्र विजयनगर और बहमनी राज्य के संघर्ष का करण बने रहे। महमूद शाह (1482-1518ई) के शासनकाल में सरदारों के आपसी संघर्ष के कारण बहमनी राज्य पांच राज्यों में बंट गया था।