सामान्य ज्ञान
25 दिसंबर को मनाया जाने वाला जीज़स क्राइस्ट के जन्म का पर्व क्रिसमस वैसे तो ईसाई समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार है लेकिन इसे दुनियाभर में धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्रिसमस की सबसे अनोखी परंपरा जिसका बच्चे बेसब्री से इंतजार करते हैं वह है- सैंटा क्लॉज। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सैंटा द्वारा बच्चों को गिफ्ट्स बांटने की इस परंपरा की शुरुआत कहां से हुई।
ऐसी मान्यता है कि सैंटा का घर उत्तरी धु्रव पर है और वह उडऩेे वाले रेनडियर की गाड़ी पर चलते हैं। हालांकि सैंटा का यह आधुनिक रूप 19वीं सदी से अस्तित्व में आया। उससे पहले वे ऐसे नहीं थे। करीब डेढ़ हजार साल पहले जन्मे संत निकोलस को असली सैंटा माना जाता है। संत निकोलस का जन्म तीसरी सदी में जीसस की मौत के 280 साल बाद मायरा में हुआ। बचपन में ही माता-पिता को खो देने की वजह से उनकी प्रभु यीशु में बहुत आस्था थी। वे बड़े होकर ईसाई धर्म के पादरी और बाद में बिशप बने। उन्हें जरूरतमंदों और बच्चों को गिफ्ट्स देना बहुत अच्छा लगता था। अपने दयालु स्वभाव के कारण संत निकोलस बहुत लोकप्रिय हुए। बच्चों के प्रति संत निकोलस का प्यार और उनके स्नेह की कथाएं विशेष रूप से दुनियाभर में प्रचलित होने लगीं और माना जाता है कि धीरे-धीरे संत निकोलस का नाम ही बिगडक़र सैंटा क्लॉज हो गया। संत निकोलस को एक गोलमटोल, हंसमुख बुजुर्ग के रूप में बताया गया है जो अपने उपहार आधी रात को ही देते थे, क्योंकि उन्हें उपहार देते हुए नजर आना पसंद नहीं था। वे अपनी पहचान लोगों के सामने नहीं लाना चाहते थे।