सामान्य ज्ञान

सलीम चिश्ती
26-Dec-2020 1:10 PM
सलीम चिश्ती

सलीम चिश्ती अजमेर के ख्वाज़ा मुईनुद्दीन् चिश्ती के पौत्र थे। इतिहास में जानकारी मिलती है कि जब बादशाह अकबर द्वारा संतान प्राप्ति की दिशा में किए गए सभी प्रयास निष्फल रहे तो वह स्वप्न में आए निर्देश के मुताबिक़ बाबा सलीम चिश्ती के पास आए। उन्हीं के आशीर्वाद से अकबर को महारानी जोधाबाई से पुत्र प्राप्ति हुई और बाबा के नाम पर उसका नाम भी सलीम रखा गया। 

बाबा सलीम चिश्ती के सम्मान में ही बादशाह अकबर ने बुलंद दरवाजा बनवाया था। उसके बाद अकबर ने फ़तेहपुर सीकरी को अपनी राजधानी भी बनाया लेकिन केवल 15 वर्षों में ही उसे अपना यह निर्णय बदलना पड़ा। यहां पर बादशाह अकबर का महल भी है जो कि भारत सरकार के पुरातत्व संरक्षण विभाग द्वारा संरक्षित है। यहां पर जोधाबाई महल, पंचमहल, अस्तबल, पचीसी दरबार, दीवान-ऐ-ख़ास, दीवान-ऐ-आम, बीरबल महल, अनूप तालाब भी है जहां पर सुरसम्राट तानसेन अपना संगीत सुनाते थे। सन 1584 तक लगभग 14 वर्ष तक फ़तेहपुर सीकरी ही मुग़ल साम्राज्य की राजधानी रही। अकबर ने अनेक निर्माण कार्य कराये, जिससे वह आगरा के समान बड़ी नगरी बन गई थी। फ़तेहपुर सीकरी समस्त देश की प्रशासनिक गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र थी। सन 1584 में एक अंग्रेज़ व्यापारी अकबर की राजधानी आया, उसने लिखा है-  आगरा और फतेहपुर दोनों बड़े शहर हैं। उनमें से हर एक लंदन से बड़ा और अधिक जनसंकुल है। सारे भारत और ईरान के व्यापारी यहां रेशमी तथा दूसरे कपड़े, बहुमूल्य रत्न, लाल, हीरा और मोती बेचने के लिए लाते हैं। फतेहपुर सिकरी में बाबा सलीम चिश्ती की दरगाह है , जहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हंै। दरगाह के समीप ही  कई छोटी - बड़ी कब्रें हैं, जो बाबा सलीम चिश्ती के वंशजों की हैं। 
 

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