सामान्य ज्ञान
मोहन जोदड़ो, जिसका-अर्थ मुर्दों का टीला है , 2600 ईसा पूर्व की एक सुव्यवस्थित नगरीय सभ्यता थी। हड़प्पा, मेहरगढ़ और लोथल की ही श्रृंखला में मोहन जोदड़ो में भी पुर्रातत्व उत्खनन किया गया। यहां मिस्र और मैसोपोटामिया जैसी ही प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिले हंै। इसकी खोज 1922 में रखालदास बद्योपाध्याय द्वारा की गई। वर्तमान में यह पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में स्थित है।
इस समय पाकिस्तान में आई बाढ़ सिंधु घाटी सभ्यता का केंद्र मोहनजोदड़ो के लिए खतरा बन गई है। यह मोहनजोदड़ो के प्राचीन शहर के बचे अवशेषों को भी नष्ट कर सकती है। यूनेस्को ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है। मोहनजोदड़ो यूनिस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल है। मोहनजोदड़ो बाढ़ की वजह से कम से कम सात बार नष्ट हो चुका है और हर बार इस खंडहर के ऊपरी हिस्से का पुनर्निमाण किया गया। नदी से करीब दो किलोमीटर दूर मोहनजोदड़ो की खोज संयोग से 1922 में खुदाई के दौरान हुई थी। इसे दुनिया का सबसे पुराना योजनाबद्ध तरीके से बसा शहर माना जाता है। करीब 240 हेक्टेयर में फैले मोहनजोदड़ो में केवल 10 फीसदी खुदाई हुई है। मोहनजोदड़ो को बाढ़ से बचाने के लिए यूनेस्को ने एक अंतर्राष्ट्रीय अभियान चलाया था जो 1997 में समाप्त हुआ। इसके तहत 80 लाख डॉलर का निवेश किया गया।
वस्तु कर एवं सेवाकर से संबंधित संशोधन विधेयक
केंद्र सरकार ने लोकसभा में 19 दिसंबर 2014 को वस्तु कर एवं सेवाकर से संबंधित संविधान (122वां संशोधन) विधेयक 2014 किया । संविधान (122वां संशोधन) विधेयक 2014 संविधान में नए अनुच्छेद 246, 269, अनुच्छेद 279 को शामिल करेगा और अनुच्छेद 268 को समाप्त कर देगा जो संविधान में 88 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2003 द्वारा शामिल किया गया था।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की नयी प्रणाली से राज्यों को राजस्व का किसी प्रकार का घाटा नहीं होगा वास्तव में इससे राज्यों का राजस्व पहले से बढ़ेगा। हालांकि इसे संसद से दो तिहाई बहुमत से पास कराना होगा। कम से कम इसका 15 राज्यों की विधानसभाओं से पास होना जरूरी होगा। यह विधेयक माल और सेवाओं का समावेश और बहिष्करण पर सिफारिश करने के लिए एक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद के गठन का प्रावधान करता है। यह संघ सूची और राज्य सूची के दायरे में पेट्रोलियम कच्चे तेल, हाई स्पीड डीजल, मोटर स्पिरिट, प्राकृतिक गैस,विमानन टरबाइन ईंधन और तंबाकू और तंबाकू उत्पादों को लाता है।
यह अंतर राज्य व्यापार के सन्दर्भ में माल कीआपूर्ति पर एक प्रतिशत तक अतिरिक्त कर का प्रावधान करता हैऔर दो साल की अवधि के लिए संघ द्वारा उसे एकत्र करने का प्रावधान करता है एवं फिर राज्यों में उसे विभाजित किया जाएगा। संघ राज्य क्षेत्रों से प्राप्त आय को छोडक़र, माल की आपूर्ति से प्राप्त अतिरिक्त कर की शुद्ध आय, भारत की संचित निधि का हिस्सा नहीं बनेगी और जहां से उसे प्राप्त किया गया है, उन्हीं राज्यों में विभाजित कर दी जाएगी।
यह जीएसटी परिषद की सिफारिश पर संसद द्वारा बनाए गए कानून के अनुसार पांच साल की अवधि के लिए जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न होने वाले राजस्व के नुकसान के लिए राज्यों को मुआवजा उपलब्ध कराने का प्रावधान भी करता है।