सामान्य ज्ञान

गुच्छी
02-Jan-2021 1:20 PM
गुच्छी

गुच्छी एक प्रकार का मशरूम है जो  काफी महंगी कीमत पर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बिकता है। इसे मधुमक्खी के छत्ते  जैसी टोपी  के कारण आसानी से पहचाना जा सकता है।  सेन्ट्रल एवं वेस्टर्न हिमालयी क्षेत्र की स्थानीय  जनजातियां इस मशरूम का इस्तेमाल सदियों  से स्वास्थ्यवर्धक आहार के रूप  में करती आ रही हैं ।  
लैटिन भाषा  में मोर्सेला एस्कुलेन्टा या ‘मोरेल मशरूम’  के नाम से प्रचलित यह मशरूम हिमांचल प्रदेश, उत्तराखंड के उच्च हिमालयी  क्षेत्रों में स्वत: ही उग आते हैं ।   कुमाऊं की दारमा घाटी,गढ़वाल की नीती घाटी में यह मशरूम   मार्च के महीने में उगते हैं तथा अप्रैल एवं जून के महीने में स्थानीय लोग इसे निकालना प्रारम्भ कर देते हैं । उत्तराखंड की नीली घाटी में कराये गए एक शोध  अनुसार अप्रैल एवं मई के महीने में तपोवन एवं जोशीमठ क्षेत्र में करीब चालीस गांवों के  परिवार किसी न किसी रूप से मोर्सेला (गुच्छी ) को इक_ा करने का कार्य करते हैं । 
 चायनीज लोग इस मशरूम का इस्तेमाल सदियों से हीलिंग ( शारीरिक क्षय को ठीक करने ) हेतु करते आ रहे हैं और यह बात सबसे महत्वपूर्ण है की आज चीन इस प्रकार के मशरूम का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। इसमें  में 32. 7 प्रतिशत प्रोटीन ,2 प्रतिशत फैट ,17. 6 प्रतिशत फायबर ,38 प्रतिशत कार्बोहायड्रेट पाए जाते हैं।
  मोरेल मशरूम  से प्राप्त एक्सट्रेक्ट की तुलना डायक्लोफीनेक नामक आधुनिक  सूजनरोधी दवा से  की गयी है और इसे भी सूजनरोधी प्रभावों से युक्त पाया गया है। इसके प्रायोगिक परिणाम ट्य़ूमर को बनने से रोकने तथा कीमोथेरेपी के रूप में प्रभावी होने से संबंधित पाए गए हैं ।
 मोरेल मशरूम   का औषधीय प्रयोग गठिया जैसी स्थितियों   उत्पन्न सूजन को कम करने हेतु किया जा  रहा है। इसके अलावा इसके प्रयोग से प्रोस्टेट एवं स्तन कैंसर की संभावना को कम किया जा सकता है । मोर्सेला का उपयोग कामोत्तेजना को बढ़ाने वाली औषधि के रूप में भी किया जाता है ।  मोरेल मशरूम से प्राप्त किये गये मेथोनोलिक एक्सट्रेक्ट  
 

भाषायी अल्पसंख्यक 
धार्मिक अल्पसंख्यकों से भिन्न भाषायी अल्पसंख्यक हंै। भारत में विभिन्न भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन हिन्दी भाषा बोलने वालों की संख्या सबसे अधिक है। हिन्दी के अलावा अन्य भाषाएं बोलने वाले भाषायी अल्पसंख्यक कहलाते हैं। एक ही भाषा बोलने वाले विभिन्न धर्मों के लोग हो सकते हैं, लेकिन भाषा के नाम पर वे सभी एक हो जाते हैं।  दक्षिण में हिन्दी विरोधी आंदोलन इसका प्रमाण है। इस भाषायी अल्पसंख्यकों ने भारतीय राजनीति को शुरूआत से ही प्रभावित किया है। इसी वजह से ही राज्यों का निर्माण भाषायी आधार पर किए गए हैं। 
 

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