सामान्य ज्ञान
पृथ्वी पर सबसे ठंडा बसा हुआ स्थान उत्तर-पूर्वी साइबेरिया है, जिसके वर्खोयांस और ओइमेकोन शहरों में तापमान क्रमश: 1892 और 1933 में शून्य फारेनहाइट के नीचे 90 डिग्री (-67.8 डिग्री सेंटीग्रेड) तक गिर गया था। पृथ्वी पर कितनी ठंड हो सकती है — और क्यों — यह जानने के लिए खोज तब शुरू हुई, जब शोधकर्ता पूर्वी अंटार्कटिक पठार पर हवा द्वारा तराशे और पॉलिश किए हुए बालू के टीलों का अध्ययन कर रहे थे।
जब वैज्ञानिकों ने ज्यादा नजदीक देखा, तो उन्होंने टीलों के बीच की बर्फीली सतह में दरारें देखीं, जो शायद तब बनी थीं, जब शीतकालीन तापमान इतना नीचे गिर गया कि बर्फ की ऊपरी पर्त सिकुड़ गई. इसने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया कि आखिर तापमान की रेंज क्या है, और उन्हें दो प्रकार के सेटेलाइट सेंसरों से प्राप्त डाटा का प्रयोग कर सबसे ठंडे स्थानों की खोज करने के लिए प्रेरित कर दिया।
जहां तक अंटार्कटिका की बात है, तो यह पृथ्वी पर दक्षिणतम महाद्वीप है और दक्षिणी धु्रव अंटार्कटिका में पाया जाता है। अंटार्कटिका दक्षिणी महासागर से घिरा है। अंटार्कटिका का अधिकांश भाग 1.6 किलोमीटर (1 मील) मोटी बर्फ से ढकंा है। पृथ्वी की लगभग 90 प्रतिशत बर्फ अंटार्कटिका में पाई जाती है। अंटार्कटिका औसतन सबसे ठंडा, सबसे सूखा और सबसे तूफानी महाद्वीप है ।नासा सेटेलाइट द्वारा भेजे गये पूर्वी अंटार्कटिका के नवीनतम विश्लेषित आकड़े दर्शाते हैं कि पृथ्वी ने अब तक रिकॉर्ड किए गए सबसे ठंडे तापमान का नया रिकॉर्ड बनाया है- -94.7 डिग्री सेंटीग्रेड। खोज के निष्कर्ष 9 दिसंबर 2013 को सैन फ्रांसिस्को में आयोजित अमेरिकी भूभौतिकी संघ की बैठक में प्रस्तुत किए गए।
ऐसा अगस्त 2010 में हुआ था, जब यह -94.7 डिग्री सेंटीग्रेड (-135.8 डिग्री फारेनहाइट) पर पहुंच गया। इसके बाद 31 जुलाई 2013 को यह पुन: इसके नजदीक पहुंचा - -92.9 डिग्री सेंटीग्रेड (-135.3 डिग्री फारेनहाइट)। पुराना रिकॉर्ड -89.2 डिग्री सेंटीग्रेड था, जो 1989 में पूर्वी अंटार्कटिका में रूसी वोस्तोक रिसर्च स्टेशन में बना था।