सामान्य ज्ञान
द्वादश वन (बारह वनों में) में बहुला नामक वन पंचम वन और वनों में से श्रेष्ठ है। माना जाता है कि जो लोग इस वन में आते हंै वे मृत्यु पश्चात अग्निलोक को प्राप्त होते हैं। आजकल यहांाँ वाटी नाम का गांव बसा है बहुला नामक गांव की पौराणिक गाथा इसी वन से सम्बन्धित है।
बहुलावन एक परम सुन्दर और रमणीय वन है। यह स्थान बहुला नामक श्रीहरि की सखी (गोपी) का निवास स्थल है। बहुला श्रीहरे- पत्नी तत्र तिष्ठति सर्वदा। इसका वर्तमान नाम बाटी है। यह स्थान मथुरा से पश्चिम में सात मील की दूरी पर राधाकुण्ड एवं वृन्दावन के मध्य स्थित है। यहां संकर्षण कुण्ड तथा मानसरोवर नामक दो कुण्ड हैं।
कहा जाता है कि एक बार राधिका इस स्थान के एक कुंज में छिप गई। कृष्ण ने उनके विरह में कातर होकर सखियों के द्वारा अनुसंधान कर बड़ी कठिनता से उनका मान भंग किया था। जनश्रुति है कि जो लोग जैसी कामना कर उसमें स्नान करते हैं, उनके मनोरथ सफल हो जाते हैं। कुण्ड के तट पर स्थित श्रीलक्ष्मी-नारायण मन्दिर, बहुला नामक गाय का स्थान, सुदर्शनचक्र का चिन्ह, श्री कुण्डेश्वर महादेव एंव श्री वल्लभाचार्य जी की बैठक दर्शनीय है। लोक-कथा के अनुसार किसी समय बहुला नाम की एक गाय इस सरोवर में पानी पी रही थी, उसी समय एक भयंकर बाघ ने उस पर आक्रमण कर उसे पकड़ लिया। वह अपने भूखे बछड़े को दूध पिलाकर लौट आने का आश्वासन देकर अपने स्वामी ब्राह्मण के घर लौटी। उसने अपने द्वारा बाघ को दिए हुए वचन की बात सुनाकर अपने बछड़े को भर-पेट दूध पी लेने के लिए कहा तो बछड़ा भी बिना दूध पिये माता के साथ जाने की हठ करने लगा। ब्राह्मण उन दोनों को घर रखकर बाघ का ग्रास बनने के लिए स्वयं जाने को उद्यत हो गया। अन्तत: ये तीनों बाघ के समीप पहुंचे। तीनों ने अपने-अपने को प्रस्तुत करने पर बाघ का हृदय बदल गया। श्रीकृष्ण की कृपा से