सामान्य ज्ञान
विश्व में रेशम उत्पादन के 14.57 प्रतिशत भाग के साथ भारत दुनिया में चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा रेशम उत्पादक है। वर्ष 2011-12 के दौरान भारत ने लगभग 23 हजार 230 एम. टन का उत्पादन किया है जिसमें 18 हजार 395 एम. टन मल्बेरी रेशम और 4835 एम. टन वान्या रेशम शेमिल है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और जम्मू-कश्मीर में मल्बेरी रेशम का मुख्य तौर पर उत्पादन किया जाता है। भारत दुनिया में कच्चे रेशम का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। कच्चे रेशम का उपभोग (लगभग 28 हजार 733 एमटी) इसके उत्पादन से धिक होता है इसलिए अतिरिक्त मांग जो कि लगभग 5 हजार 700 एमटी रेशम की है, की पूर्ति मुख्य तौर पर चीन से आयात द्वारा की जाती है।
इरी, तसार और मुगा रेशम की अन्य प्रजातियां हैं जिनका उत्पादन भारत में किया जाता है। इन्हें समग्र तौर पर वान्या रेशम (अथवा जंगली रेशम) कहा जाता है क्योंकि ये मुख्य तौर पर वन के उत्पाद होते हैं। तसार रेशम प्रमुख रुप से झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, मध्यप्रदेश और ओडिशा में उत्पादित किया जाता है इसके अलावा महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के कुछ भागों में छोटे स्तर पर इसका उत्पादन होता है। उप हिमालयी राज्यों जैसे मणिपुर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम और मेघालय में शाहबलूत तसार का उत्पादन किया जाता है। इरी रेशम गैर-मल्बेरी रेशम उत्पादन में सर्वश्रेष्ठ है और मुख्य तौर पर पूर्वोत्तर राज्यों के पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है इसके अलावा बिहार, पं. बंगाल और ओडिशा राज्यों में भी यह पाया जाता है। सुनहले रेशम के नाम से जाने जाना वाला मुगा रेशम विशिष्ट तौर पर असम में पाया जाता है और ब्रह्मपुत्र घाटी में यह फैला हुआ है।