सामान्य ज्ञान
संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अनपढ़ वयस्कों की आबादी करीब 28.7 करोड़ है। यह दुनिया में अशिक्षित लोगों का कुल 37 प्रतिशत है।
संयुक्त राष्ट्र की वर्र्ष 2013/14 सभी के लिए शिक्षा वैश्र्विक निगरानी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में साक्षरता दर 1991 में 48 प्रतिशत थी। 2006 में यह बढक़र 63 प्रतिशत पहुंच गई। यानी जनसंख्या में वृद्धि की तुलना में निरक्षरों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। यूनेस्को की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सबसे अमीर युवतियों को पहले ही वैश्र्विक स्तर की साक्षरता मिल चुकी है, लेकिन सबसे गरीब के लिए ऐसा 2080 तक ही संभव है। भारत में शिक्षा के स्तर में मौजूद भारी असमानता दर्शाती है कि सबसे ज्यादा जरूरतमंदों को पर्याप्त सहयोग नहीं मिला।
रिपोर्ट में कहा गया, वर्ष 2015 के बाद के लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्धता जरूरी है ताकि सबसे ज्यादा पिछड़े समूह तय लक्ष्यों के मापदंडों पर खरे उतर सकें। भारत में गरीब और अमीर राज्यों के बीच शिक्षा के स्तर को लेकर भारी असमानता है। भारत के संपन्न राज्यों में से एक केरल में प्रति छात्र शिक्षा का खर्च 685 डॉलर (करीब 42 हजार 627 रुपये) था।
अमीर राज्यों में शुमार महाराष्ट्र और तमिलनाडु में वर्ष 2012 तक ज्यादातर ग्रामीण बच्चे कक्षा पांच तक पहुंच गए थे। रिपोर्ट में कहा गया कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर गरीबी के कारण कक्षा पांच तक बच्चों के स्कूल में पढऩे की संभावना प्रभावित होती है। इन दोनों राज्यों में गरीब लड़कियों को मूल बातें सीखने का बहुत कम मौका मिलता है। दोनों राज्यों में पांच में से एक लडक़ी ही बुनियादी जोड़ घटाना कर पाती है।