सामान्य ज्ञान
पटुओं की हवेली राजस्थान के जैसलमेर की प्रमुख हवेलियां हैं। छियासठ झरोखों से युक्त ये हवेलियां निसंदेह कला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। ये कुल मिलाकर पांच हैं, जो कि एक-दूसरे से सटी हुई हैं। ये हवेलियां भूमि से 8-10 फीट ऊंचे चबूतरे पर बनी हुई हैं। जमीन से ऊपर छ: मंजिल है और भूमि के अंदर एक मंजिल होने से इसकी कुल 7 मंजिल है।
पांचों हवेलियों के अग्रभाग बारीक नक्काशी और विविध प्रकार की कलाकृतियां युक्त खिड़कियों, छज्जों और रेलिंग से अलंकृत है। जिसके कारण ये हवेलियां अत्यंत भव्य और कलात्मक लगती हैं। हवेलियों में प्रवेश करने के लिए सीढिय़ां बनी हुई हैं। सामने दीवान खाना है। हवेली के सभी कमरों में पत्थरों की सुंदर खानों वाली अलमारियां और आलें नजर आते हैं। प्रथम तल के कमरे रसोई, भण्डारण, पानी भरने आदि के कार्य में लाए जाते थे, जबकि अन्य मंजिलें आवासीय होती थीं।
इन हवेलियों में सोने की कलम की चित्रकारी, हाथी दांत की सजावट आदि देखने को मिलती है। हवेलियों में चूने का प्रयोग बहुत कम किया गया है। सभी कमरे काफी बड़े और नक्काशी किए हुए हैं।
पटवों की हवेलियां अ_ारवीं शताब्दी से सेठ पटवों द्वारा बनवाई गई थीं। वे पटवे नहीं, पटवा की उपाधि से अलंकृत रहे। उनका सिंध-बलोचिस्तान, कोचीन एवं पश्चिम एशिया के देशों में व्यापार था और धन कमाकर वे जैसलमेर आए थे। कलाविद् और कलाप्रिय होने के कारण उन्होंने अपने लिए शानदार हवेलियां बनवाई थीं।
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कृष्णा नदी
कृष्णा भारत में बहने वाली एक नदी है। यह पश्चिमी घाट के पर्वत महाबालेश्वर से निकलती है। इसकी लम्बाई प्राय: 1290 किलोमीटर है।
यह दक्षिण-पूर्व में बहती हुई बंगाल की खाड़ी में जाकर गिरती है। कृष्णा नदी की उपनदियों में प्रमुख हैं-तुंगभद्रा, घाटप्रभा, मूसी और भीमा। कृष्णा नदी के किनारे विजयवाड़ा एंव मूसी नदी के किनारे हैदराबाद स्थित है। इसके मुहाने पर बहुत बड़ा डेल्टा है। इसका डेल्टा भारत के सबसे उपजाऊ क्षेत्रों में से एक है। यह मिट्टी का कटाव करने के कारण पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाती है।