सामान्य ज्ञान
सूरजकुंड हरियाणा राज्य के में फरीदाबाद जि़ले में स्थित एक प्रसिद्ध और अति प्राचीन जलाशय है। सूरजकुंड में ही प्रसिद्ध शिल्प मेले का हर साल फऱवरी में आयोजन किया जाता है। सूरजकुंड, अनगपुर बांध से लगभग 2 किमी (1.5 मील) की दूरी पर है। फऱीदाबाद का यह परिसर बहुत ख़ूबसूरत है।
सूरजकुंड हस्त शिल्पकला मेला प्रत्येक वर्ष 1 से 15 फऱवरी के बीच फरीदाबाद में आयोजित किया जाता है। मेले में पर्यटक भारतीय शिल्प कला की शानदार कलाकृतियां देख और खऱीद सकते हैं।
सूरजकुंड का नाम यहां 10वीं सदी में तोमर वंश के राजा सूरज पाल द्वारा बनवाए गए एक प्राचीन रंगभूमि सूर्यकुंड से पड़ा। यह एक अनूठा स्मारक है, क्योंकि इसका निर्माण सूर्य देवता की आराधना करने के लिए किया गया था और यह यूनानी रंगभूमि से मेल खाता है। यह मेला वास्तव में, इस शानदार स्मारक की पृष्ठभूमि में आयोजित भारत की सांस्कृतिक धरोहर की भव्यता और विविधता का जीता-जागता प्रमाण है।
सूरजकुंड शिल्प मेले का आयोजन पहली बार वर्ष 1987 में भारत के हस्तशिल्प, हथकरघा और सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि एवं विविधता को प्रदर्शित करने के लिए किया गया था। केंद्रीय पर्यटन, कपड़ा, संस्कृति, विदेश मंत्रालयों और हरियाणा सरकार के सहयोग से सूरजकुंड मेला प्राधिकरण तथा हरियाणा पर्यटन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह उत्सव सौंदर्यबोध की दृष्टि से सृजित परिवेश में भारत के शिल्प, संस्कृति एवं व्यंजनों को प्रदर्शित करने के लिहाज से अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण स्थान एवं शोहरत रखता है। वर्ष 2013 में सूरजकुंड शिल्प मेले को अंतर्राष्ट्रीय मेले का दर्जा दिए जाने से इसके इतिहास में एक नया कीर्तिमान स्थापित हुआ। वर्ष 2015 में यूरोप, अफ्रीका, दक्षिण एशिया के 20 देशों ने इस मेले में भागीदारी की।
वर्ष 2016 के 30वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला 2016 का भव्य आयोजन किया गया है।
ऋग्वेदकालीन नदियों के प्राचीन और नए नाम
प्राचीन नाम आधुनिक नाम
क्रमु कुर्रम
कुभा काबुल
वितस्ता झेलम
आस्किनी चिनाव
परुष्णी रावी
शतद्रि सतलुज
विपाशा व्यास
सदानीरा गंडक
दृषद्वती घग्घर
गोमती गोमल
सुवास्तु स्वात
सिंधु सिन्ध
सरस्वती / दृशद्वर्ती घघ्घर / रक्षी / चित्तग
सुषोमा सोहन
मरुद्वृधा मरुवर्मन