सामान्य ज्ञान
यूरोपीय देशों ने सात फरवरी, 1992 को नीदरलैंड्स में मास्त्रिष्ट संधि पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद ही यूरो मुद्रा का सपना साकार हुआ। यूरोपीय समुदाय के 12 देशों के मंत्रियों ने मास्त्रिष्ट में मिल कर राजनीतिक और आर्थिक सहयोग की ओर बड़ा कदम उठाया। इनके विदेश और वित्त मंत्रियों ने यूरोपीय संघ बनाने के लिए मास्त्रिष्ट संधि पर हस्ताक्षर किए। यह संधि 1 नवंबर 1993 को प्रभाव में आई।
पूर्वी यूरोप में कम्युनिस्ट राज के घटते असर और जर्मनी में पूर्व और पश्चिम के बीच दीवार गिरने की वजह से यूरोप को विश्व में फिर से मजबूती से स्थापित करने की जरूरत महसूस की जा रही थी। सभी सदस्य देश यह भी चाहते थे कि वे विकास की रास्ते पर साथ आगे बढ़ें।
इसी संधि की वजह से आगे चलकर एकसमान मुद्रा यूरोप के कई देशों ने अपनाई, जो यूरो कहलाई। संधि में इस बात पर जोर था कि सभी सदस्य देशों में मुद्रास्फीति संतुलित हो और कर्ज जीडीपी के 60 फीसदी से ऊपर न जाए।
यूरोपीय देशों ने यह भी तय किया कि वे आंतरिक मामलों और विदेश एवं सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर भी समान नीति अपनाएंगे। इस संधि में नागरिकता के विषय पर एक नई सहमति बनी। यूरोप की नागरिकता का विचार सच हुआ और माना गया कि यह नागरिकता सभी सदस्य देशों की नागरिकता के ऊपर मानी जाएगी। इसका अर्थ यह हुआ कि सदस्य देशों का हर नागरिक यूरोपीय नागरिक कहलाएगा। यूरोपीय संघ के नागरिकों को किसी भी सदस्य देश में रहने और नौकरी का अधिकार है।