सामान्य ज्ञान

गांडीव धनुष
08-Feb-2021 12:53 PM
गांडीव धनुष

वज्र की गांठ को गांडी कहा गया है। उससे बना धनुष  गांडीव  कहलाया। हिन्दू गं्रथों के अनुसार  अन्य अनेक अक्षय शस्त्रों की भांति अपनी शक्ति के वर्धन के लिए दैत्यों ने इसका भी निर्माण किया था किंतु देवताओं ने उन्हें परास्त कर अक्षय शस्त्रों को प्राप्त कर लिया। इस 
अर्जुन को गांडीव धनुष अत्यधिक प्रिय था। उसने प्रतिज्ञा की थी कि जो व्यक्ति उसे गांडीव किसी और को देने के लिए कहेगा, उसे वह मार डालेगा। युद्ध में एक बार कर्ण ने युधिष्ठिर को परास्त कर दिया। युधिष्ठिर को मैदान छोडक़र भागना पड़ा। अर्जुन को जब वहां युधिष्ठिर नहीं नजर आए तो उनको देखने के लिए वे शिविर में गए। युधिष्ठिर घायल और दुखी होकर कर्ण पर खीजे हुए थे। इसलिए उन्होंने अर्जुन को लानत दी कि वह अब तक  कर्ण को नहीं मार पाया। यह भी कहा कि वह गांडीव धनुष किसी और को दे दे।  प्रतिज्ञानुसार अर्जुन ने तलवार निकाल ली किंतु कृष्ण ने अर्जुन की मन:स्थिति समझाकर उसे शांत किया और कहा कि बड़े व्यक्ति का अपमान कर देना ही उसके वध के समान है अत: अर्जुन ने युधिष्ठिर को अपमानसूचक बातें कहकर उसे मृतवत मानकर अपनी प्रतिज्ञा का निर्वाह किया- फिर क्षमा-याचना कर बड़े भाई को प्रणाम करके वे  युद्ध करने चले गए।  अग्निदेव ने वरुण देव का आवाहन करके गांडीव धनुष, अक्षय तरकश , दिव्य घोड़ों से जुता हुआ एक रथ (जिस पर कपिध्वज लगी थी) लेकर अर्जुन को समर्पित किया था।  
गांडीव धनुष अलौकिक था। वह वरुण से अग्नि को और अग्नि से अर्जुन को प्राप्त हुआ था। वह देव, दानव तथा गंधर्वों से अनंत वर्षों तक पूजित रहा था। वह किसी शस्त्र से नष्ट नहीं हो सकता था तथा अन्य लाख धनुषों की समता कर सकता था। उसमें धारण करने वाले के राष्ट्र को बढ़ाने की शक्ति विद्यमान थी। उसके साथ ही अग्निदेव ने एक अक्षय तरकश भी अर्जुन को प्रदान किया था जिसके बाण कभी समाप्त नहीं हो सकते थे।  
 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news