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पनामा नहर शिपिंग रूट
08-Feb-2021 12:55 PM
पनामा नहर शिपिंग रूट

पनामा नहर शिपिंग रूट विश्व के सबसे महत्त्वपूर्ण शिपिंग रूट्स में से एक है। यह पनामा में 77.1 किलोमीटर शिप-नहर है और कैरिबियन सागर के माध्यम से अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ती है। 15 अगस्त 1914 को खोली गई यह नहर अभी तक की सबसे बड़ी और सबसे कठिन इंजीनियरिंग परियोजनाओं में से एक है। नहर के विकास ने प्रशांत और अटलांटिक महासागरों के बीच यात्रा का मार्ग छोटा कर उसमें लगने वाला समय घटा दिया तथा ड्रेक मार्ग या मैगेलन जलडमरू मध्य से होकर खतरनाक केप हॉर्न मार्ग से जाने की जरूरत नहीं रही। 
पनामा नहर प्राधिकरण द्वारा पनामा नहर के नौवहन मार्ग (शिपिंग रूट) के चौड़ीकरण की परियोजना का काम 5 फरवरी 2014 को रोक दिया गया। इसका कारण बढ़ती लागतों को लेकर उठा विवाद है। इससे पहले, जनवरी 2014 में स्पेन की कंपनी की अगुवाई में बने बिल्डिंग-कंसोर्टियम द्वारा पनामा प्राधिकारियों को परियोजना की बढ़ी हुई लागतों के रूप में 1.6 बिलियन डॉलर का भुगतान करने की अंतिम समय-सीमा दी गई थी। पनामा नहर प्राधिकरण ने बढ़े हुए निर्माण-बिल के लिए बिल्डिंग कंपनियों पर आरोप मढ़ते हुए भुगतान करने से मना कर दिया था। परियोजना की लागत मूल रूप से 5.25 बिलियन डॉलर आंकी गई थी, किंतु परियोजना के निर्माण के दौरान वह अप्रत्याशित रूप से बढक़र 7 बिलियन डॉलर हो गई।
 

गणपति उपनिषद
गणपति उपनिषद,  अथर्ववेदीय उपनिषद है जिसमें गणपति की ब्रह्म-रूप में उपासना की गयी है।   गणपति को वाणी का देवता माना गया है।  उन्हें तीन गुणों-सत, रज, तम- से परे माना गया है।
गणपति मनुष्य के मूलाधार चक्र में स्थित रहते हैं। इच्छा, क्रिया और ज्ञान आदि शक्तियों के वे एकमात्र आधार हैं। योगी सदैव गणपति की आराधना करते हैं।   गणपति की उपासना का बीज मन्त्र ओं गणपते नम:) है। इसे महामन्त्र के नाम से जाना जाता हैं गणेश जी की एकदन्त, वक्रतुण्ड और गजानन नाम से पूजा की जाती है।  समस्त शुभकर्मों में सबसे पहले गणपति की उपासना का विधान है।    गणपति की उपासना से सभी सकंट कट जाते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। 
 

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