सामान्य ज्ञान
तारे विशाल चमकदार गैसों के पिण्ड होते हैं जो स्वयां के गुरूत्वाकर्षण बल से बंधे होते हैं। भार के अनुपात में तारों में 70 प्रतिशत हाइड्रोजन, 28 प्रतिशत हीलियम, 1.5 प्रतिशत कार्बन, नाइट्रोजन व ऑक्सीजन तथा 0.5 प्रतिशत लौह तथा अन्य भारी तत्व होते हैं। ब्रह्मïांड का अधिकांश द्रव्यमान तारों के रूप में ही है।
तारों का जन्म समूहों में होता है। गैस व धूल के बादल जिन्हें अभ्रिका कहते हैं, जब लाखों वर्ष पश्चात् छोटे बादलों में टूटकर विभाजित हो जाते हैं तब अपने ही गुरूत्वाकर्षण बल से आपस में जुडक़र तारों का निर्माण करते हैं। तारों की ऊष्मा हाइड्रोजन को एक अन्य गैस हीलियम में परिवर्तित कर देती है। इस परिवर्तन के साथ ही नाभिकीय संलयन’ की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है, जिससे अत्यन्त उच्चस्तरीय ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसी ऊर्जा के स्रोत से तारे चमकते हैं।
ब्रह्मïांड के लगभग 50 प्रतिशत तारे युग्म में पाए जाते हैं। उन्हें युग्म तारे’ के नाम से जाना जाता है। जब किसी तारे का हाइड्रोजन ईंधन चुकने लगता है तो उसका अंतकाल नजदीक आ जाता है। तारे के बाह्य क्षेत्र का फूलना और उसका लाल होना उसकी वृद्धावस्था का प्रथम संकेत होता है। इस तरह के बूढ़े तथा फूले तारे को रक्त दानव’ कहते हैं। अपना सूर्य जो कि मध्यम आयु का तारा है, संभवत: 5 अरब वर्ष बाद रक्त दानव’ में परिवर्तित हो जाएगा। जब ऐसे तारे का सारा ईंधन समाप्त हो जाता है तो वह अपने केंद्र में पर्याप्त दबाव नहीं उत्पन्न कर पाता, जिससे वह अपने गुरूत्वाकर्षण बल को सम्भाल नहीं सकता है। तारा अपने भार के बल की वजह से छोटा होने लगता है। यदि यह छोटा तारा है तो वह श्वेत विवर में परिवर्तित हो जाता है। खगोलशास्त्रियों के अनुसार सूर्य भी 5 अरब वर्ष पश्चात् एक श्वेत विवर में परिवर्तित हो जाएगा। किंतु बड़े तारे में एक जबर्दस्त विस्फोट होता है और उसका पदार्थ ब्रह्मïांड में फैल जाता है।
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