सामान्य ज्ञान
फ्लोटिंग रेट बॉन्ड्स, डेट सिक्यॉरिटीज होती हैं, जिन पर एक समय अवधि में तय ब्याज की पेशकश नहीं की जाती। इनके रेट बेंचमार्क इंटरेस्ट रेट्स के साथ बदलते रहते हैं। ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स को खासतौर पर इंटरेस्ट रेट में गिरावट वाले दौर में पसंद किया जाता है।
बॉन्ड इश्यू करने वालों को बॉरोइंग कॉस्ट के लिहाज से फायदा होता है। ऐसे बॉन्ड आमतौर पर बैंकों के बेस रेट से लिंक्ड होते हैं, जिससे कम रेट पर बैंक लोन नहीं दे सकते। इसके प्राइस में बैंक बेस रेट के साथ 0.10-0.20 पर्सेंट का स्प्रेड या मार्क-अप जोड़ा जाता है। उदाहरण के लिए, पिरामल एंटरप्राइजेज की ओर से हाल ही में इश्यू किए गए फ्लोटिंग रेट बॉन्ड का कूपन रेट 9.4 पर्सेंट था, जो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के 9.3 पर्सेंट के बेस रेट से 0.10 पर्सेंट अधिक था।
अपनी अलग-अलग स्कीमों के लिए म्यूचुअल फंड और इंश्योरेंस कंपनियों, प्रॉविडेंट फंड और पेंशन हाउसेज सहित लॉन्ग-टर्म फंड। यह प्रॉडक्ट इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स के लिए डिजाइन किया गया है, लेकिन रईस इनवेस्टर्स भी इनमें पैसा लगा सकते हैं।