सामान्य ज्ञान

भारतीय भाषाएं
11-Feb-2021 1:23 PM
भारतीय भाषाएं

भाषाई दृष्टिकोण से भारत में काफी विविधता है। भारतीय भाषाओं का उद्भव और विकास अलग-अलग तरीके से हुआ है और वे भारतीय के विभिन्न जातीय समूहों से संबंधित हैं। भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी है। देश की कुल जनसंख्या का 73 फीसदी भारोपीय परिवार की, 25 फीसदी द्रविड़ परिवार की, 1.3 फीसदी आस्ट्रिक परिवार की तथा मात्र 0.7 फीसदी भाग चीनी-तिब्बत परिवार की भाषाएं बोलता है।
भारतीय भाषाओं को मुख्य रूप से चार परिवारों में वर्गीकृत किया जाता है-  इंडो-यूरोपीय या भारोपीय परिवार, द्रविड़ परिवार, आस्ट्रिक परिवार और चीनी-तिब्बती परिवार। 
भारोपीय और द्रविड़ परिवार देश के प्रमुख भाषा परिवार हैं। यह भारतीय भाषाओं में सबसे महत्वपूर्ण भाषा परिवार है और देश की प्रमुख भाषाएं हिंदी, बंगाली, मराठी, गुजराती, पंजाबी, सिंधी, असमी, उडिय़ा, कश्मीरी, उर्दू, मैथिली और संस्कृत इसमें शामिल हैं।
द्रविड़ परिवार  देश का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण भाषा परिवार है जिसमें दक्षिण भारत में बोली जाने वाली लगभग सभी भाषाएं शामिल हैं। द्रविड़ भाषाएं काफी प्राचीन हैं। इस भाषा परिवार की भाषाओं का देश के बाहर की भाषाओं से कोई संबंध नहीं है।   इस भाषा परिवार को तीन भागों- दक्षिणी द्रविड़ वर्ग, मध्य द्रविड़ वर्ग व उत्तरी द्रविड़ वर्ग में विभाजित किया जाता है। इस परिवार की सात मुख्य भाषाएं- कन्नड़, तमिल, मलयालम, तुलु, कोडागू, तोडा और कोटा हैं।
वहीं चीनी-तिब्बत भाषा परिवार के बोलने वाले उत्तरी बिहार, उत्तरी बंगाल और असम में पाए जाते हैं। इन भाषाओं को भारोपीय परिवार की भाषाओं से अधिक पुराना माना जाता है और इनके बोलने वालों को प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में किरात के नाम से जाना जाता था। इस समूह की भाषाओं को तीन शाखाओं में विभाजित किया जाता है- तिब्बती- हिमालयी भाषा परिवार, उत्तरी असम तथा, असमी-म्यांमारी। तिब्बती-हिमालयी भाषाओं को दो वर्गों में विभाजित किया गया है- भोटिया वर्ग तथा हिमालय वर्ग।
भोटिया वर्ग की भाषाओं में तिब्बती, बाल्ती, लद्दाखी, लाहूली, शेरपा, सिक्किमी-भोटिया आदि भाषाएं शामिल हैं। हिमालय वर्ग में चम्बा, लाहौली, किन्नौरी और लेप्चा भाषाएं आती हैं। उत्तरी असमी वर्ग में 6 बोलियां शामिल हैं- अका, डफला, मिरी, अबोर, मिश्मी तथा मिशिंग। असमी-म्यांमारी वर्ग की भाषाओं को पांच उपवर्गों में विभाजित किया जाता है- बोडो, नागा, कचिन, कुकिचिन और म्यांमारी-बर्मी।
ऑस्ट्रिक भाषा परिवार का विकास भूमध्य सागर से आए हुए निवासियों द्वारा हुआ। ऑस्ट्रिक भाषाएं मध्य और पूर्वी भारत के पहाड़ी व वन इलाकों में बोली जाती हैं। ये काफी प्राचीन भाषाएं हैं और इनको बोलने वालों को प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में निषाद कहा जाता था। इस भाषा परिवार की सबसे महत्वपूर्ण भाषा संथाली है जिसे लगभग 50 लाख संथाल बोलते हैं। मुंडा जनजाति द्वारा बोली जाने वाली मुंदरी दूसरी सबसे महत्वपूर्ण भाषा है।
भारतीय अन्य भाषाओं में  गोंडी, ओरांव, मल-पहाडिय़ा, खोंड और पारजी जैसी कुछ आदिवासी भाषाएं हैं जो अपने-आप में अनूठी हैं और इन्हें किसी भाषा परिवार के अंतर्गत नहीं रखा जा सकता है।
 

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