सामान्य ज्ञान
पृथ्वी की सतह पर गतिशील विशाल आकार के बर्फराशि को हिमनद या हिमानी कहते है। प्राय: यह पर्वत के उपर निर्मित एक हिमखंड होता है जो पिघलने पर जल देता है । हिमालय में हजारों छोटे-बड़े हिमनद है जो लगभग 3350 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले हंै।
कुछ प्रमुख हिमनद इस प्रकार हैं-
* बनागी- यह नंदा देवी विशाल हिमखण्ड के निचले भाग में स्थित है जिससे ऋषि गंगा नदी बनती है।
* बनकुण्ड- यह उत्तर-पश्चिमी गढ़वाल में स्थित है तथा इससे अमृत गंगा नदी बनती है। बरमा- यह गढ़वाल में चमोली जिले के उत्तर में तथा कालापानी हिमखण्ड के पश्चिम में 0.75 किमी लम्बा हिमखण्ड है।
* भगीरथी खरक- यह केदारनाथ के पूर्व में स्थित हिमखण्ड है जहांं से मंदाकिनी नदी निकलती है।
* भृगुपंथ- यह गढ़वाल में उत्तरकाशी के उत्तर में गंगोत्री हिमखण्ड को बनाता है।
* बूढ़- यह 3 किमी लम्बा हिमखण्ड है जो गढ़वाल और कुमाऊं की सीमा पर नन्दा देवी के निचले ढाल पर स्थित है।
* बर्ला- यह पिंडारी हिमखण्ड के चारों ओर पश्चिमी ढाल पर झूलती घाटी में स्थित है।
* चंगा बंग- यह नन्दा देवी पर्वत पर स्थित है तथा इससे ऋषि गंगा नदी निकलती है।
* चतुरंगी- यह चौखम्भा पर्वत के निचले ढाल पर स्थित है।
* चोर बामक- चमोली जिले के उत्तर पश्चिम में केदारनाथ के निचले ढाल पर स्थित है, जिसका पानी मंदाकिनी में मिलता है।
* गंगोत्री- यह 26 किमी लम्बा तथा 4 किमी चौड़ा हिमखण्ड उत्तरकाशी के उत्तर में स्थित है।
* कफनी- यह 5 किमी लम्बा और 2.5 किमी चौड़ा हिमखण्ड गढ़वाल और कुमाऊं की सीमा पर नन्दादेवी के दक्षिण पश्चिमी ढाल पर स्थित है।
* कागभुसंड- यह 4 किमी लम्बा हिमखण्ड चमोली जिले के उत्तर में स्थित है।
* कालापानी- यह 5 किमी लम्बा तथा 1 किमी चौड़ा हिमखण्ड चमोली के उत्तर में स्थित है।
* कामत- यह उत्तर पश्चिमी गढ़वाल में कामत पर्वत के मध्य स्थित है।
* कंकुल खाल- यह चमोली के उत्तर-पश्चिम में स्थित हिमखण्ड है।
* खत्लिंग- यह 1.5 किमी लम्बा हिमखण्ड टिहरी के उत्तरी भाग में स्थित है।
* कीर्ति बामक- यह उत्तर-मध्य गढ़वाल में स्थित है।
* लाल माटी- यह 7 किमी लम्बा हिमखण्ड मण्डल घाटी के ऊपरी भाग में स्थित है।
* मांडा- यह उत्तरी-मध्य गढ़वाल में स्थित है।
* मेरू- यह उत्तरकाशी के उत्तर में निचली पहाडिय़ों पर स्थित है।
* मिलम- यह उत्तर-पश्चिमी गढ़वाल के दक्षिणी ढाल पर स्थित है।
* मृगथुनी- यह 6 किमी लम्बा हिमखण्ड नन्दा देवी पर्वतमाला के निचले भाग में स्थित है।
* नन्दा देवी (उत्तर)- यह नन्दा देवी पर्वतमाला पर स्थित छोटा
भारत की संकटापन्न भाषाएं
भारत में संकटापन्न भाषाओं की यूनेस्को की सूची के अनुसार कर्नाटक की निम्नलिखित भाषाएं / बोलियां खतरे में हैं- बडगा (जो तमिलनाडु में भी बोली जाती है ), बेल्लारी, कोडागु, कोरागा और तुलु। केंद्र सरकार ने भारत की संकटापन्न भाषाओं की सुरक्षा और संरक्षण की योजना शुरू की है। इस योजना के तहत केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान कर्नाटक में बोली जाने वाली सभी जनजातीय, गैर-जनजातीय और गैर-अधिसूचित भाषाओं/बोलियों के दस्तावेज तैयार करेगा जिनके बोलने वाले दस हजार से कम हैं।
इनमें प्रमुख हैं- कुरबा- मैसूर जिला, हक्की पिक्की-नोमाड - सारे कर्नाटक में, टोडा नीलगिरी पहाडिय़ों के आसपास, कोटा - नीलगिरी पहाडिय़ों के आसपा, कोरागा-उडुपि, मंगलौर और कोल्लेगाला क्षेत्र, सोलिगा मैसूर, हुनसुर और कामराजनगर जिले, बल्लारा/बेल्लारी -उडुपि जिला, कुटिया/कुडिया - चिकमगलूर, उडुपि और कोडागु जिले।