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राष्ट्रीय जलमार्ग विधेयक
12-Mar-2021 12:35 PM
राष्ट्रीय जलमार्ग विधेयक

राज्यसभा ने राष्ट्रीय जलमार्ग विधेयक, 2015 सर्वसम्मति से 9 मार्च 2016 को को पारित किया है। इस विधेयक के तहत देश के 106 जलमार्गो को राष्ट्रीय  जलमार्ग घोषित करने का प्रावधान है। देश में वर्तमान में पांच राष्ट्रीय जलमार्ग हैं। मौजूदा पांच राष्ट्रीय  जलमार्गो में 106 अतिरिक्त जलमार्गों के शामिल करने के बाद कुल राष्ट्रीय  जलमार्गो की संख्या111 हो जाएगी। इन राष्ट्रीय जल मार्गों की घोषणा से भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) को इन खंडों के लिए शिपिंग और नौवहन के लिए प्रयोग करने में सहायता मिलेगी।  भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) वित्तीय संसाधनों को एकत्र कर राष्ट्रीय जलमार्गों के विभिन्न खंडों को शिपिंग और नौवहन के लिए विकसित करेगा।  प्रत्येक जल मार्ग के लिए आईडब्ल्यूएआई द्वारा किए गए तकनीकी आर्थिक अध्ययन के आधार पर ही आर्थिक निर्णय लिए जा सकेंगे। इस योजना के माध्यम से देश में माल ढुलाई, यात्रा आदि उद्देश्यों की पूर्ति के साथ-साथ पर्यटन के विकास में भी विशेष सहायता मिलेगी। 
गौरतलब है कि चीन तथा यूरोप के कई देशों में माल के कुल परिवहन में जलमार्ग के जरिए होने वाले परिवहन की भागीदारी करीब 40 प्रतिशत है, जबकि भारत में इसकी वर्तमान भागीदारी साढ़े तीन प्रतिशत है। अंतर्देशीय जल परिवहन ईंधन गुणवत्ता के बिंदु से परिवहन का सबसे सस्ता माध्यम माना जाता है। एक हॉर्सपावर से जहां सडक़ क्षेत्र से सिर्फ 150 किलो और रेलमार्ग से 500 किलो भार ढोया जा सकता है, वहीं जल क्षेत्र में 4 हजार किलो भार ढोया जा सकता है।
 

पृथ्वी का तापमान कम करने में सफेदी मददगार

पेरू के एक वैज्ञानिक ने अपने देश से एंडियन ग्लेशियरों के पिघलने की गति कम करने के लिए उन पत्थरों और भूमि की सफेदी व्हाइटवाश करने के लिए कहा है जो बर्फ के पिघलने की वजह से सामने आ रहे हैं।
एडुआडरे गोल्ड नामक इस वैज्ञानिक का कहना है कि सफेदी करने के बाद ये पत्थर और भूमि कम उर्जा शोषित करेंगे और इससे ग्लेशियरों के पिघलने की गति भी धीमी हो जाएगी।
पेरू के एक गैर सरकारी संगठन ‘‘ग्लेशियर्स’’ के अध्यक्ष एदुआर्दो गोल्ड ने जलवायु परिवर्तन पर देश के एक संसदीय आयोग के समक्ष यह बात कही। विश्व बैंक ने गोल्ड के इस विचार पर अपनी दिलचस्पी जाहिर की है। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के बारे में उनका संस्थान अन्य परियोजनाओं पर भी विचार कर रहा है। उनका कहना है कि पत्थरों और भूमि से अधिक उर्जा शोषित होती है जिससे ग्लेशियर भी तेजी से पिघलते हैं। अगर इन्हें सफेद रंग में रंग दिया जाए तो स्थिति में सुधार हो सकता है।
 

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