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सिख गुरुद्वारा संशोधन अधिनियम
12-Mar-2021 12:35 PM
सिख गुरुद्वारा संशोधन अधिनियम

सहजधारी सिख 1949 से लगातार एसजीपीसी के चुनावों में अपने मतदान के अधिकार हेतु प्रयासरत थे। वर्ष  2003 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सिख गुरुद्वारा संशोधन अधिनियम,1925 दिनांक 8 अक्टूबर 2003 को अधिसूचना के माध्यम से पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 की धारा 72 के तहत संसद द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कर सहजधारी सिखों को मतदान से वंचित कर दिया था।   हालांकि इस अधिसूचना को 20 दिसंबर 2011 को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिया गया और अधिनियम में संशोधन की जिम्मेवारी सक्षम विधायिका को दी गयी। विधायिका ने यह निश्चित करना था कि  संशोधन कब प्रभावी होगा। 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 मार्च 2016 को सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 में पूर्वव्यापी संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस आशय का प्रस्ताव गृह मंत्रालय द्वारा संसद में प्रस्तुत किया गया था जो 8 अक्टूबर 2013 से प्रभावी होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव पर विचार किया गया। जिसमें संसद के माध्यम से अधिनियम को संशोधित करके सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 के तहत गठित बोर्ड तथा समितियों के सदस्यों के चुनाव में मत डालने के लिए वर्ष 1944 में सहजधारी सिखों को दी गई छूट को समाप्त करने का आग्रह किया गया।
 

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