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1952 आम चुनाव की तुलना में प्रति सीट उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि हुई
14-Mar-2021 11:24 AM
1952 आम चुनाव की तुलना में प्रति सीट उम्मीदवारों की संख्या में  वृद्धि हुई

अब तक के  संसदीय चुनाव के आंकड़ों पर नजर दौड़ाने पर पता चलता है कि प्रत्येक लोकसभा सीट के लिए प्रतिद्वन्दियों की संख्या लगातार बढ़ती रही है। उदाहरण के लिए वर्ष 1977 के छठे संसदीय चुनाव तक प्रत्येक लोकसभा सीट के लिए औसतन 3 से 5 प्रतिद्वन्दी ही खड़े हुआ करते थे। वर्ष 1952 के पहले लोकसभा चुनाव के लिए 489 सीटों के लिए 1874 उम्मीदवार थे यानी कि, औसतन 4.67 प्रतिद्वन्दी प्रति सीट थे। वर्ष 1957 में 494 सीटों पर 1519 उम्मीदवार थे अर्थात, औसतन 3.77 प्रति सीट। वर्ष 1962 में  494 सीटों के लिए 1985 प्रतिद्वन्दी थे यानि की औसतन 4.02 प्रतिद्वन्दी प्रति सीट। वर्ष 1967 में संसद की सीटों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई- यह बढक़र 520 हुई और इनके लिए 2369 प्रतिद्वन्दी खड़े हुए यानी औसतन 4.56 प्रतिद्वन्दी प्रति सीट।

  वर्ष 1971 में 518 सीटों के लिए चुनाव हुए जिनके लिए 2 हजार 784 प्रतिद्वन्दी थे और औसतन 5.37 उम्मीदवार प्रति सीट थे। वर्ष 1977 में एक बार फिर संसदीय सीटों की संख्या में वृद्धि होने से इनकी संख्या 542 हो गई जिससे  प्रति सीट प्रतिद्वन्दियों की संख्या घटकर 4.50 तक आ गई क्योंकि 542 सीटों के लिए 2349 प्रतिद्वन्दी ही थे। वर्ष 1980 में सातवीं लोकसभा के चुनावों के समय प्रति सीट 3-5 प्रतिद्वन्दियों की संख्या के इस रुझान में बदलाव आया। इस वर्ष 542 सीटों के लिए 4629 प्रतिद्वन्दी थे जिसके फलस्वरूप प्रति सीट प्रतिद्वन्दियों की संख्या औसतन 8.75 रही। प्रतिद्वन्दियों की संख्या में उत्तरोतर बढ़ोतरी के कारण प्रति सीट प्रतिद्वन्दी की औसत संख्या में वृद्धि हुई पर वर्ष 1996 में अचानक इस संख्या में अस्वभाविक बदलाव देखा गया। इस वर्ष 543 सीटों के लिए प्रतिद्वन्दियों की संख्या 13 हजार 952 तक पहुंच गई और प्रति सीट प्रतिद्वन्दियों की औसत संख्या 25.69 हो गई, जो कि वर्ष 1991 के आम चुनाव में केवल 16.38 ही थी।

  भारत के निर्वाचन आयोग ने जमानत की राशि 500 रूपये से बढक़ार 10 हजार रूपये कर दी जिससे वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव में प्रति सीट प्रतिद्वन्दी की संख्या में 8.75 तक कम हुई। एक लंबे अर्से के बाद प्रतिद्वन्दियों की कुल संख्या 4 हजार 750 हो गयी। वर्ष 1999 के आम चुनाव में प्रतिद्वन्दियों की संख्या में मामूली वृद्धि हुई और यह 8.56 उम्मीदवार प्रति सीट के औसत के साथ 4 हजार 648 उम्मीदवार हो गई।  वर्ष 2004 में प्रतिद्वन्दियों की कुल संख्या 543 संसदीय सीटों के लिए 5 हजार से अधिक, यानी 5 हजार 435 तक पहुंच गई। इससे प्रति सीट प्रतिद्वन्दी की औसत संख्या 10 प्रतिद्वन्दी प्रति सीट तक पहुंच गई। वर्ष 2009 के आम चुनाव में 543 सीटों के लिए 8 हजार 70 प्रतिद्वन्दियों ने भाग लिया जिससे प्रति सीट प्रतिद्वन्दी की औसत संख्या तेजी से 14.86 तक बढ़ी।
 

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