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दुनिया का सबसे लंबा विमान एयर लैंडर
14-Mar-2021 11:27 AM
 दुनिया का सबसे लंबा विमान एयर लैंडर

बेडफोर्डशायर, ब्रिटेन के कार्डिंगटन में मार्च 2014 के पहले हफ्ते में दुनिया के सबसे लंबे विमान एयरलैंडर या एचएवी304 का अनावरण किया गया। विमान भीमकाय व्यक्ति जैसा दिखाई देता है और उसका निर्माण हाइब्रिड एयर व्हीकल लि. (एचएवी) द्वारा किया जा रहा है।
 इस विमान के लिए यूके सरकार द्वारा दिए गए 25 लाख पौंड के अनुदान के अतिरिक्त आयरन मेडेन के अग्रणी गायक ब्रूस डिकिन्सन विमान की फंडिंग करने वाले हाई-प्रोफाइल निवेशकों में से एक हैं। 

 यह विमान 302 फीट लंबा है और एक हाइब्रिड विमान है। यह हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर दोनों जैसा दिखता है। यह सबसे बड़ी एयरलाइंस, एयरबस ए380 और बोइंग 747-8 से 60 फीट लंबा है।   यह कार्गो एयरक्राफ्ट एंटोनोव एएन-225टी से भी लगभग 30 फीट (8 मीटर) बड़ा है, जो अब तक निर्मित सबसे लंबा एयरक्राफ्ट है। यह विमान बिना पुन: तेल भरवाए तीन हफ्तों तक बिना रुके उडऩे में सक्षम है और यह विश्वभर में कठिन क्षेत्रों की यात्रा करेगा तथा जोखिमभरे क्षेत्रों में सहायता पहुंचाएगा।    विमान के निर्माण में लगभग 6 अरब यूरो का खर्च आएगा और वह संप्रेषणों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।  अल्प कार्बन वाला यह विमान कार्गो विमान से लगभग 70 प्रतिशत ज्यादा पर्यावरण-अनुकूल है, क्योंकि इसमें इनर्ट हीलियम भरा जाता है। यह 50 टन तक माल और यात्री ढोने में सक्षम है। इसे निगरानी और संप्रेषण के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा।  यह रिमोट कंट्रोल से लैंड कर सकता है और पानी पर भी उतरने में सक्षम है।

मन्वन्तर

मन्वन्तर एक संस्कृत शब्द है, जिसका संधि-विच्छेद करने पर = मनु+अन्तर मिलता है। इसका अर्थ है मनु की आयु। प्रत्येक मन्वन्तर एक विशेष मनु द्वारा रचित एवं शासित होता है, जिन्हें ब्रह्मïा द्वारा सृजित किया जाता है। मनु विश्व की और सभी प्राणियों की उत्पत्ति करते हैं, जो कि उनकी आयु की अवधि तक बनती और चलती रहती हैं। (जातियां चलतीं हैं, ना कि उस जाति के प्राणियों की आयु मनु के बराबर होगी)।  उन मनु की मृत्यु के उपरांत ब्रह्मा फिर एक नये मनु की सृष्टिï करते हैं, जो कि फिर से सभी सृष्टिï करते हैं। इसके साथ साथ ही एक नए इंद्र और सप्तर्षि भी नियुक्त होते हैं।

चौदह मनु और उनके मन्वन्तर को मिलाकर एक कल्प बनता है। यह ब्रह्मा का एक दिवस होता है। यह  हिंदू समय चक्र और वैदिक समयरेखा के नौसार होता है। प्रत्येक कल्प के अन्त में प्रलय आती है, जिसमें ब्रह्माण्ड का संहार होता है, और वह विराम की स्थिति में आ जाता है, जिस काल को ब्रह्मा की रात्रि कहते हैं। इसके उपरांत सृष्टिïकर्ता ब्रह्मïा से सृष्टिïरचना आरंभ करते हैं, जिसके बाद फिर संहारकर्ता भगवान शिव इसका संहार करते हैं और यह सब एक अंतहीन प्रक्रिया या चक्र में होता रहता है। 
 

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