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राजीव गांधी राष्ट्रीय गुणवत्ता पुरस्कार कब से दिए जा रहे हैं?
15-Mar-2021 12:24 PM
राजीव गांधी राष्ट्रीय गुणवत्ता पुरस्कार कब से दिए जा रहे हैं?

राजीव गांधी राष्ट्रीय गुणवत्ता पुरस्कार हर वर्ष प्रदान किए जाते हैं।  इन पुरस्कारों की शुरुआत वर्ष 1991 में भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा किया गया था। इन पुरस्कारों का उद्देश्य भारतीय विनिर्माण और सेवा संगठन को उत्कृष्टता के लिए अग्रसर करना और भारत में गुणवत्ता आंदोलन के नेतृत्वकर्ता माने जाने वालों को विशेष पहचान देना है।  
वर्ष 2011 में  श्रेष्ठ सेवा मानक के लिए सर्वोत्तम पुरस्कार बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश) के डीएवी एसीसी वरिष्ठ माध्यमिक पब्लिक स्कूल ने जीता है। बड़े पैमाने पर निर्माणकर्ता उद्योग के वर्ग में नोकिया सीमन्स नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड, कांचिपुरम (तमिलनाडू) को श्रेष्ठ गुणवत्ता मानक के लिए पुरस्कृत किया गया है, जबकि बड़े पैमाने पर सेवा उद्योग वर्ग का पुरस्कार उत्तर प्रदेश में नोएडा स्थित आर सिस्टम्ज़ इन्टरनेशनल लिमिटेड को मिला है। लघु स्तरीय निर्माण उद्योग वर्ग में टेक्नोक्रेट कनेक्टिविटी सिस्टम्ज़ प्राइवेट लिमिटेड, रूद्रप्रयाग (उत्तराखंड) ने पुरस्कार जीता है।
इन पुरस्कारों के अलावा दस संगठनों को विभिन्न वर्गों के अधीन प्रशस्ति प्रमाणपत्रों के लिए चुना गया है।  ये सभी राजीव गांधी राष्ट्रीय गुणवत्ता पुरस्कारों के अंतर्गत आते हैं। 
 

पुनर्वसु मात्रेय संहिता 
पुनर्वसु मात्रेय संहिता के रचयिता एवं आयुर्वेदाचार्य थे। अत्रि ऋषि के पुत्र होने के कारण उन्हें पुनर्वसु आत्रेय कहा जाता है। अत्रि ऋषि स्वयं आयुर्वेदाचार्य थे। अश्वघोष के अनुसार, आयुर्वेद-चिकित्सातंत्र का जो भाग अत्रि ऋषि  पूरा नहीं कर सके थे उसे इन्होंने पूर्ण किया था।
चरकसंहिता के मूल ग्रंथ अग्निवेशतंत्र के रचयिता अग्निवेश के ये गुरु एवं भरद्वाज ऋषि के समकालीन थे। उन्होंने अपने पिता एवं भरद्वाज ऋषि से आयुर्वेद की शिक्षा प्राप्त की थी। उनके रहने का कोई स्थान निश्चित नहीं था। पर्यटन करते हुए ये आयुर्वेद का उपदेश देते थे। आत्रेय के नाम पर लगभग तीस आयुर्वेदीय योग उपलब्ध हैं। उनमें बलतैल एवं अमृताद्य तैल का निर्देश चरकसंहिता में प्राप्त है।
संहिता हिन्दू धर्म के पवित्रतम और सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदों का मंत्र वाला खण्ड है । ये वैदिक वांग्मय का पहला हिस्सा है जिसमें काव्य रूप में देवताओं की यज्ञ के लिये स्तुति की गयी है । इनकी भाषा वैदिक संस्कृत है । चार वेद होने की वजह से चार संहिताएं हैं (हर संहिता की अपनी अलग अलग शाखा है)- ऋग्वेद संहिता,  सामवेद संहिता, यजुर्वेद संहिता (शुक्ल और कृष्ण) और अथर्ववेद संहिता।
भाषाविद और इतिहासकार ऋग्वेद संहिता को पूरी दुनिया कि सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक मानते हैं ।
 

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