सामान्य ज्ञान
केरल के अधिकांश मलयालम भाषी लोग द्रविड़ मूल के हैं, जिसमें प्राचीन तथाकथित आर्यों की घुसपैठ के फलस्वरूप भारोपीय मिश्रण भी दिखाई देेता है। रूढि़वादी हिंदुओं के नंबूदिरी जाति में यह तथ्य ज्यादा स्पष्टï है। पहाड़ों में रहने वाली कुछ जनजातियों के लोग दक्षिण-पूर्वी एशिया की स्थानीय नेग्रिटो नस्ल के निकट जान पड़ते हैं।
भारत में विभिन्न धर्मों के सद्भावनापूर्ण सहअस्तित्व का केरल में अद्भुत कीर्तिमान है। मलयाली लोगों का अधिकांश हिस्सा हिंदू है। द्रविड़ नाग पूजक और काली पूजक हैं और दूसरी ओर हिंदू देवी-देवताओं की उपासना करने वालों के बीच कोई मतभेद नहीं है। न ही शैव और वैष्णव प्रतिद्वंद्वी मतों के बीच कोई संघर्ष है।
यहां जैन मतावलंबियों की छोटी सी आबादी मुख्य रूप से सुदूर उत्तर में रहती है। यहूदी समुदाय का एक छोटा विशिष्अ मत है। कोच्चि में एक पुराना यहूदी उपासना गृह स्थित है। ईसाई, जो जनसंख्या का एक तिहाई से अधिक हिस्सा है, मुख्यत: पारंपरिक सीरियाई, रोमन कैथलिक और प्रोटेस्टेंट गिरजाघरों से जुड़े हैं, हालांकि इनमें से प्रत्येक के कई-कई मत हैं, वैसे तो मुसलमान समूचे राज्य में निवास करते हैं, पर मालाबार तट का मापिला समुदाय केरल का सबसे बड़ा इस्लामी समुदाय है।
विधिक अधिकार क्या हैं?
संविधान के 44 वें संशोधन द्वारा संपत्ति के मौलिक अधिकार को सामान्य विधिक अधिकार बना दिया गया। पहले अनुच्छेद 19 (ढ्ढ) च तथा 31 के अंतर्गत यह मौलिक अधिकार था। अब अध्याय-4 में अनुच्छेद 300 क के अंतर्गत यह मात्र एक विधिक अधिकार है।