सामान्य ज्ञान

विभिन्न प्रकार के सनग्लासेस
16-Mar-2021 11:40 AM
विभिन्न प्रकार के सनग्लासेस

सर्फिंग सनग्लासेज -इसे वाटर सनग्लास भी कहा जाता है। इसके ग्लास पानी में भी चीजों को आसानी से देख सकते हैं।
ओनासिस ग्लासेज -1960 में लोकप्रिय हस्ती जेकलिन केनेडी ओनासिस ने अपने चेहरे को लोगों की नजरों से छुपाने के लिए बड़े-बड़े सनग्लासेज पहनना शुरू कर दिया। तब से उन्हीं के नाम पर बड़े सनग्लासेज को ओनासिस ग्लासेज कहा जाने लगा।
फ्लिप अप ग्लासेज -इस ग्लास में एक ढक्कननुमा एक्स्ट्रा ग्लासेज लगे होते हैं। जब वियरर इंडोर कमरे में काम करता है, तो एक्स्ट्रा ग्लासेज को फ्लिप अप, यानी ऊपर चढ़ा लेता है।
ग्लेशियर ग्लासेज -बर्फ से रिफ्लेक्टेड लाइट से बचाव के लिए पहाड़ पर चढऩे, ग्लेशियर या स्नोफील्ड की यात्रा करते समय इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके दोनों साइड बिल्कुल बंद होते हैं।

ब्रजभाषा
ब्रजभाषा मूलत: ब्रजक्षेत्र की बोली है। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक भारत में साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने विकास के साथ भाषा नाम प्राप्त किया और ब्रजभाषा नाम से जानी जाने लगी। शुद्ध रूप में यह आज भी मथुरा, आगरा, धौलपुर और अलीगढ़ जि़लों में बोली जाती है। इसे केंद्रीय ब्रजभाषा भी कहा जाता है। 
प्रारम्भ में ब्रजभाषा में ही काव्य रचना हुई। भक्तिकाल के कवियों ने अपनी रचनाएं ब्रजभाषा में ही लिखी हैं जिनमें सूरदास, रहीम, रसखान, बिहारी, केशव, घनानन्द आदि कवि प्रमुख हैं। हिन्दी फिल्मों और फिल्मी गीतों में भी ब्रजभाषा के शब्दों का बहुत प्रयोग होता है। आधुनिक ब्रजभाषा 1 करोड़ 23 लाख जनता के द्वारा बोली जाती है और लगभग 38 हजार वर्गमील के क्षेत्र में फैली हुई है।
शुद्ध रूप में ब्रजभाषा आज भी मथुरा, अलीगढ़, आगरा, भरतपुर और धौलपुर जि़लों में बोली जाती है। ब्रजभाषा का कुछ मिश्रित रुप जयपुर राज्य के पूर्वी भाग तथा बुलंदशहर, मैनपुरी, एटा, बरेली और बदायूं जि़लों तक बोला जाता है।
 

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