सामान्य ज्ञान
18 मार्च, 1922 में ब्रितानी अदालत ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के बाद राजद्रोह के मामले में महात्मा गांधी को 6 साल की जेल की सजा सुनाई थी। गांधी जी को राजद्रोह के मामले में ब्रितानी अदालत ने यह सजा सुनाई। 1922 में गांधी जी ने यंग इंडिया नाम का एक लेख लिखा। इसके कारण देश में कई जगहों में लोग भडक़ उठे और ब्रितानी सरकार परेशान हो गई, लेकिन ब्रितानी अदालतों में भी महात्मा गांधी का बहुत सम्मान था। उन्हें सजा सुनाते हुए जज ने कहा कि अगर बाद में सरकार उनकी सजा कम करेगी तो इसकी सबसे ज्यादा खुशी उन्हें ही होगी।
1919 में भारत में अपना औपनिवेशिक राज चला रहे ब्रितानी हुक्मरानों ने रॉलैट एक्ट पेश किय। इस एक्ट के तहत राजद्रोह के आरोप लगने पर किसी भी भारतीय को बिना सुनवाई के ही सजा दी जा सकती थी। राज के इसी एक्ट के विरोध में महात्मा गांधी ने सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया। यह एक अहिंसात्मक आंदोलन के रूप में ही शुरु हुआ जिसे सविनय अवज्ञा आंदोलन कहा गया, लेकिन लोग इस आंदोलन से जुड़ते गए और यह जंगल की आग जैसे फैल गया।
इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के चौरीचौरा में प्रदर्शन कर रहे लोग हिंसक हो गए। भीड़ ने पुलिस स्टेशन में आग लगा दी और वहां मौजूद 22 लोगों की मौत हो गई। इस हिंसक घटना के बाद महात्मा गांधी ने आंदोलन वापस ले लिया, लेकिन ब्रितानी सरकार ने उनको देशद्रोह का दोषी करार देकर 6 साल की जेल की सजा सुना दी, जो 18 मार्च से शुरू हुई। सिर्फ दो साल के बाद ही 1924 में लगातार खराब होती सेहत को देखते हुए उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया था।
कपासी बादल
कपासी बादलों की उत्पत्ति वायु की संवहनीय धाराओं के कारण होती है। जिसके कारण ये ऊध्र्वाधर रूप से विकसित होते हैं। इनके कपास के ढेर जैसा दिखने के कारण यह नाम है। शीत वाताग्र पर ऐसे बादल, वायु के ऊध्र्वाधर रूप से ऊपर उठने के कारण बन जाते हैं। इसी प्रकार भारतवर्ष में किसी-किसी अत्यधिक गर्म दिन में, जलवाष्प सीधे ऊध्र्वाधर पथ में गमन करके ऐसे बादल बना देती है।