सामान्य ज्ञान
कद्दू को ही काशीफल कहा जाता है। यह एक सब्जी है जिसे ज़्यादातर लोग पसंद नहीं करते। लेकिन यह कई तरह के औषधीय गुणों को समेटे है। इसका सेवन स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। इस में पेट से लेकर दिल तक की कई बीमारियों के इलाज की क्षमता है।
कद्दू में सेचुरेटेड फैट नहीं पाया जाता। इससे शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम बनी रहती और दिल सेहतमंद रहता है। इसमें पाए जाने वाले डायटरी फाइबर से पेट की बीमारियों में आराम मिलता है। कद्दू में मुख्य रूप से बीटा केरोटीन पाया जाता है, जिससे विटामिन ए मिलता है। पीले और संतरी कद्दू में केरोटीन की मात्रा अपेक्षाकृत ज्यादा होती है। बीटा केरोटीन एंटीऑक्सीडेंट होता है जो शरीर में फ्री रैडिकल से निपटने में मदद करता है।
कद्दू ठंडक पहुंचाने वाला होता है। इसे डंठल की ओर से काटकर तलवों पर रगडऩे से शरीर की गर्मी खत्म होती है। कद्दू लंबे समय के बुखार में भी असरकारी होता है। इसमें बड़ी मात्रा में पाया जाने वाला जिंक ऑस्टियोपोरोसिस से सुरक्षा दिलाने काम करता है। ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियां खोखली हो जाती हैं और यह जिंक की कमी के कारण होता है। कद्दू में कुछ ऐसे मिनरल्स होते हैं जो दिमाग की नसों को आराम पहुंचाते हैं। अगर आपको रिलैक्स होना है तो आप कद्दू खा सकते हैं।
आहार विशेषज्ञों का कहना है कि कद्दू हृदय रोगियों के लिए अत्यंत लाभदायक है। यह कोलेस्ट्राल कम करता है, ठंडक पहुंचाने वाला और फायदेमंद होता है। कद्दू रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करता है और अग्न्याशय को सक्रिय करता है। इसी कारण चिकित्सक मधुमेह रोगियों को कद्दू खाने की सलाह देते हैं। इसका रस भी स्वास्थ्यवर्धक माना गया है। शरीर के इन्सुलिन लेवल को बढ़ाना कद्दू का काम होता है। कद्दू के बीज भी आयरन, जिंक, पोटेशियम और मैग्नीशियम के अच्छे स्रोत हैंॉ, जो एनिमिया को दूर करते हैं।.
इसमें पाया जाने वाला विटामिन ए बहुत ही लाभकारी होता है। इससे शरीर में एंटीऑक्सिडेंट की मात्रा में इजाफा होता है। ऐसा होने से आपकी स्किन और बालों की सेहत बेहतर रहती है। कद्दू में जीआ स्कैनटिन नामक एंटीऑक्सिडेंट पाया जाता है। यह अल्ट्रा वायलेट किरणों से होने वाले नुकसान से बचाता है। इससे त्वचा के नए सेल्स बनने लगते हैं।
कद्दू के बीज भी बहुत गुणकारी होते हैं। कद्दू और इसके बीज विटामिन सी और ई, आयरन, कैलशियम मैग्नीशियम, फॉसफोरस, पोटैशियम, जिंक, प्रोटीन और फाइबर आदि के भी अच्छे स्रोत होते हैं। यह बलवर्धक, रक्त एवं पेट साफ करता है, पित्त व वायु विकार दूर करता है और मस्तिष्क के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। प्रयोगों में पाया गया है कि कद्दू के छिलके में भी एंटीबैक्टीरिया तत्व होता है जो संक्रमण फैलाने वाले जीवाणुओं से रक्षा करता है। शायद इन्हीं खूबियों की वजह से कद्दू को प्राचीन काल से ही गुणों की खान माना जाता रहा है।
हमारे पूर्वजों ने भी कद्दू के इन औषधीय गुणों को बहुत पहले ही पहचान लिया था और यही कारण है कि हमारे देश में, खासतौर पर उत्तर भारत के खान-पान में, इसे विशेष महत्व दिया जाता है। भारत में कद्दू की कई प्रजातियां पाई जाती हैं जिन्हें उनके आकार-प्रकार और गूदे के आधार पर मुख्य रूप से सीताफल, चपन कद्दू और विलायती कद्दू के वर्गों में बांटा जाता है।