धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 25 मई। राज्य सरकार द्वारा महापौर सभापति तथा पार्षदों के पारिश्रमिक बढ़ाए जाने जैसे शब्द का इस्तेमाल करते हुए 12 मई को राजपत्र में प्रकाशन किया गया है। पारिश्रमिक शब्द से निगम के भाजपाई पार्षद आक्रोशित होते हुए राज्यपाल के नाम ज्ञापन अनुविभागीय अधिकारी को ज्ञापन सौंप कर कहा कि नगरीय निकाय के जनप्रतिनिधि सीधे जनता द्वारा निर्वाचित होकर आते हैं तथा लोकतंत्र में सबसे निचले स्तर के निर्वाचित जनप्रतिनिधि होने के साथ-साथ समाज के अंतिम वर्ग के अंतिम पंक्ति के आम जनमानस की जमीन से जुड़ी हुई बुनियादी समस्याओं के निदान का माध्यम बनते हैं लेकिन नगर पालिक निगम अधिनियम में उल्लेखित मानदेय शब्द के स्थान पर पारिश्रमिक शब्दों का उल्लेख किया जाना उनके मान सम्मान को ठेस पहुंचाया जाकर नीचे दिखाएं जाने जैसा है जिसका हम पार्षद गण पुरजोर विरोध करते हैं।
नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष नरेंद्र रोहरा ने कहा है कि चुनाव हुआ जनप्रतिनिधि छोटा या बड़ा नहीं होता लेकिन राज्य सरकार कि कौशिक मानसिकता ने यह दर्शा दिया है कि वह नगरी निकाय के जनप्रतिनिधियों की श्रेणी कहां रखने की मंशा रखते हैं हम पार्षदगण जनप्रतिनिधियों का ऐसा अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे।
नगर निगम के पूर्व सभापति राजेंद्र शर्मा ने कहा है कि राज्य सरकार के नैतिक धर्म है कि वह अपने जनप्रतिनिधियों सहित आम जनमानस के प्रति आदर का भाव रखते हुए मर्यादा के दायरे में अपने कर्तव्य का निर्वहन करें लेकिन सरकार का मानदेय बढ़ाने में किया गया व्यवहार मखमली चप्पल मारने जैसा है।
ज्ञापन तो सौपने वाले पार्षदगणों में पूर्व सभापति राजेन्द्र शर्मा, वरिष्ठ पार्षद गड़ धनीराम सोनकर, बिशन निषाद ,दीपक गजेंद्र, श्यामलाल नेताम प्रकाश सिन्हा हेमंत बंजारे विजय मोटवानी अज्जू देशलहरे, मिथिलेश सिन्हा ,ईश्वर सोनकर , प्राची सोनी ,सरिता आसाई श्यामा साहू ,सुशीला तिवारी ,रश्मि दिवेदी ,नीलू डागा, रितेश नेताम, शामिल हैं।