धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नगरी, 30 सितंबर। मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं सिहावा विधायक डॉ.लक्ष्मी ध्रुव ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में कहा कि छ.ग. उच्च न्यायालय के द्वारा प्रदेश में लागू किया गया आरक्षण संख्या को अवैधानिक ठहराते हुए आदिवासियों को प्रदत्त 32 प्रतिशत को कम करते हुए 20 प्रतिशत किया गया। इससे आदिवासी समाज को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। समाज को मुख्य धारा में जोडऩे से सदियों लगेगा। आज उच्च न्यायालय के द्वारा 58 प्रतिशत को असंवैधानिक ठहराया गया तो इसे लागू करते समय इसका समुचित अध्ययन कर लागू किया जाना चाहिए था। आदिवासियों के साथ राज्य निर्माण के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है सर्वविदित है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की जनसंख्या 32 प्रतिशत से अधिक है।
हाल ही में 13 जातियों को आदिवासी वर्ग में सम्मिलित किया गया है। इससे राज्य में 32 प्रतिशत से भी अधिक आदिवासियों की जनसंख्या हो जायेगा। ऐसी स्थिति में भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त आबादी के अनुसार आरक्षण प्रदान किया जाना छत्तीसगढ़ राज्य में खुला उल्लघंन होगा। किसी भी सरकार को बड़े निर्णय लेते समय नियम कानून को भलीं भांती अध्ययन कर लागू करना चाहिए न कि राजनीतिक लाभ को दृष्टिगत रखते हुए निर्णय लेना चाहिए। जबकि देश के कई राज्यों में जैसे-कर्नाटक, तमिलनाडू में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण विभिन्न समुदायों को आरक्षण दिया जा रहा है। सर्व आदिवासी समाज के द्वारा तत्कालीन सरकार के समक्ष 32 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने हेतु पूरा प्रक्रिया के साथ सरकार के समक्ष प्रतिवेदन रखा गया था। तत्कालीन भा.ज.पा. सरकार के द्वारा नियमों का पालन न करते हुए राजनीतिक लाभ के लिए आरक्षण नियमों को अनदेखा करते हुए नये आरक्षण नियम लागू किया गया।
आज समाज में इसका खमियाजा भुगतान पड़ेगा।
वर्तमान सरकार से मेरी गुजारिश है कि छत्तीसगढ़ राज्य में प्रचलित आरक्षण को विधि संमत लागू हो किसी वर्ग विशेष का अहित न हो। आदिवासियों के आरक्षण को भाजपा सरकार ने कुचला है। इससे भाजपा की मानसिकता का पता चलता है। इससे सिद्ध होता है कि भाजपा आदिवासियों का कितना हितैषी है।