धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 23 अक्टूबर। इस साल रूप चौदस और दीपावली पर्व एक ही दिन मनाया जाएगा। सोमवार सुबह रूप चतुर्दशी पर उबटन लगाकर स्नान करने की परंपरा निभाएंगे। शाम को अमावस्या तिथि प्रारंभ हो रही है, दूसरे दिन मंगलवार को सूर्य ग्रहण होने से रूप चौदस और अमावस्या के संयोग में ही महालक्ष्मी पूजन किया जाएगा।
ज्योतिषों के मुताबिक इस बार अमावस्या तिथि पर सूर्य ग्रहण का संयोग बन रहा है। दो दिन अमावस्या तिथि होने से सूर्य ग्रहण की पूर्व संध्या पर सोमवार को महालक्ष्मी पूजा कर दीपावली का पर्व मनाया जाएगा। इसके अगले दिन मंगलवार को सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पूर्व सुबह से सूतक लगेगा। देव प्रतिमाओं का स्पर्श नहीं करना चाहिए। ग्रहण समाप्ति के पश्चात गंगाजल छिडक़कर देवस्थान को शुद्ध कर लेने के पश्चात ही प्रतिमाओं को स्पर्श करना चाहिए।
रविवार को भगवान धन्वंतरि से मांगें निरोगी काया
दो दिवसीय धनतेरस का शुभारंभ शनिवार की शाम 6.02 बजे त्रयोदशी तिथि शुरू होने के बाद हुआ। व्यापारियों ने खाता बही का पूजन किया और घर-घर में मुख्य द्वार पर रंगोली सजाकर दीप प्रज्वलित किया। चूंकि रविवार को उदया तिथि में भी त्रयोदशी तिथि है, इसलिए दूसरे दिन भी धनतेरस मनाई गई। आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की पूजा करके स्वस्थ रहने की कामना की गई। सोना, चांदी, इलेक्ट्रानिक्स, वाहन, जमीन, घर और अन्य वस्तुओं की खरीदारी हुई। इस बार त्रिपुष्कर योग, नीच भंग राजयोग, सवार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग तथा गुरु, बुध, शुक्र और शनि के स्वग्रही रहते धनतेरस की खरीदारी शुभ होगी।
गौरा-गौरी उत्सव 26 को, निकलेगी भोलेनाथ की बारात
धमतरी सहित कुरूद, नगरी, मगरलोड में 26 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा व गौरी-गौरा उत्सव मनाया जाएगा। शहर में 30 से ज्यादा जगह भगवान भोलेनाथ व माता पार्वती की बारात निकलेगी। इसके पहले गौरा जगाने की रस्म (गौरा उत्सव) की परंपरा निभाई जा रही है। 25 अक्टूबर की रात भगवान शंकर व माता पार्वती का शृंगार होगा। जिले में पारंपरिक धुनों के बीच गौरा जगाने की रस्म आदिवासी समाज कर रहा है। इसमें अन्य समाजों के लोगों की आस्था भी है। शहर के भगत चौक, जालमपुर गौरा-चौरा, भागवत चौक, कुम्हारपारा, बनियापारा, सिहावा चौक, शिव चौक, आमापारा, रामबाग, अधारी नवागांव, हटकेशर, सोरिद, महिमा सागरपारा, बठेना सहित ग्रामीण अंचल में गौरा-गौरी की स्थापना होगी। 25 अक्टूबर की आधी रात घर-घर से दीप के लिए तेल व कलश लाने की रस्म निभाई जाएगी।