धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरुद, 23 अक्टूबर। नगर के विभिन्न मोहल्लों में धनतेरस के दिन से गौरी-गौरा जगाने की रस्म पूरी की गई, जिसमें बैगा ने धूप जलाकर पूजा की। महिलाओं ने भगवान शिव पार्वती का आह्वान करते हुए पारम्परिक गीत गाया।
लोक परम्परा और आदीवासी संस्कृति में ईश्वर ग़ौरी गौरा का त्योहार प्रति वर्ष धनतेरस के दिन से शुरू होकर गोवर्धन पूजा तक मनाया जाता है। नगर के गोंड पारा, बैगा पारा, सरोजनी चौक, दानीपारा, सिरसा चौक, पचरीपारा, संजय नगर, डिपो मार्ग, इंदिरा नगर आदि स्थानों में बने गौराचौरा में हर साल गौराउत्सव मनाया जाता है।
दानीपारा गौरा समिति से जुड़े रमेशर साहू, रोहित साहू, बिसहत मिस्त्री, विजय, सतीष नगारची, रामप्यारे साहू, चेतन, राजेश, बाबूलाल चक्रधारी, मगन बघेल, प्रदीप साहू, त्रिभुवन साहू, बिष्णुराम, घूरऊराम, धनूष साहू, सुरेश निर्मलकर, कोल्हू साहू, भरत देवांगन, ऋषि सिन्हा, कामीन, उर्वशी बाई, राकाबाई, रोहिणी साहू, कचरा यादव, आदि ने बताया कि दानीपारा में सभी जाति के लोग मिलकर गौरी-गौरा पर्व मनाते हैं। जिसमें पारंपरिक गड़वा बाजा में गौरा गीत गाकर फ़ूल कुचरने, तालाब से मिट्टी लाने, रात्रि में गौरा जगाने, करसा परघाने से लेकर गौरा गौरी की बारात निकालने की रस्में विधि विधान से पुरी की जाती है।
लक्ष्मी पूजा के अगले दिन अखाड़ा दल के कलाकार अपना शौर्य प्रदर्शन करते हुए भव्य शोभायात्रा निकाल बाजे गाजे के साथ गौरी-गौरा का विसर्जन करने तलाब ले जाते हैं। इस दरम्यान कई भक्त आस्था पूर्वक सांकड़ लेते हैं, लेकिन इस बार गौरी-गौरा का त्योहार दो दिन मनाया जाएगा। धर्मशास्त्रों के जानकारों द्वारा बताए अनुसार 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण होने के कारण गोवर्धन पूजा एवं गौरा विसर्जन 26 अक्टूबर को होगा।