धमतरी
धमतरी, 4 दिसंबर। स्कूलों में विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते हैं, लेकिन कतिपय अनुचित मांगों को लेकर उनके जरिए चक्काजाम, धरना-प्रदर्शन व तालाबंदी जैसे अनुचित कार्य कराए जा रहे हैं। इसमें अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षकों की संलिप्तता की बात सामने आई है। भविष्य में इस प्रकार के कृत्य किए जाते हैं तो उसके लिए संस्था के प्रमुख सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे और उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस बैठक में खुलासा हुआ कि जिले में शिक्षा का स्तर एलपीडी (लो-परफॉर्मेन्स डिस्ट्रिक्ट) में है।
जिला पंचायत के सभाकक्ष में शनिवार को 168 हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों के प्राचार्यों की बैठक 2 पालियों में हुई। पहली पाली सुबह 11 बजे से कुरूद एवं मगरलोड ब्लॉक के प्राचार्य तथा दूसरी पाली में दोपहर 2 बजे से धमतरी और नगरी ब्लॉक के प्राचार्यों शामिल हुए। कलेक्टर ने विभिन्न विषयों पर चर्चा कर जरूरी निर्देश दिए। उनकी समस्याओं की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि चक्का जाम, धरना-प्रदर्शन व स्कूलों में तालाबंदी जैसी गैर वैधानिक गतिविधियों में विद्यार्थियों को माध्यम बनाया जाता है, जबकि उसके पीछे किसी और का हाथ होता है। इसका सीधा अर्थ है कि प्राचार्य का नियंत्रण अपने अधीनस्थ शिक्षकों व विद्यार्थियों पर नहीं है। कलेक्टर ने चेताया कि शासन अपने उपलब्ध साधनों एवं संसाधनों के आधार पर शिक्षकों की व्यवस्था करता है। इन कृत्यों से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता।
डीईओ ने दी सुग्घर पढ़वईया की जानकारी
डीईओ ब्रजेश बाजपेयी ने स्कूलों में आधारभूत सुविधाओं, शिक्षकों की कमी, अतिशेष, लंबे समय से अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों की जानकारी प्राचार्यों से ली। प्रदेश शासन द्वारा शुरू किए जा रहे प्रदेश शासन की ‘सुग्घर पढ़वईया‘ नामक अभिनव पहल की जानकारी उपस्थित प्राचार्यों को दी। बैठक में समग्र शिक्षा के प्रभारी अधिकारी, सभी ब्लॉक के बीईओ, स्त्रोत समन्वयक मौजूद थे।
स्कूलों में जाति, निवास प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया को समझाया
कलेक्टर पीएस एल्मा ने बताया कि स्कूलों में विद्यार्थियों का जाति, निवास प्रमाण-पत्र बनाने को लेकर बताया कि राज्य शासन के निर्देश अनुसार स्कूलों में जाति, निवास प्रमाण-पत्र बनाए जा रहे है। कोई एक दिन निर्धारित कर स्कूल में शिविर लगाया जाता है, जिसमें राजस्व टीम की ओर से संबंधित हल्के का राजस्व निरीक्षक, पटवारी मौजूद रहेंगे। विद्यार्थी के पास जितने भी प्रमाण-पत्र जैसे पिछली कक्षाओं की अंकसूची, मिसल रिकॉर्ड, विद्यार्थी आधार कार्ड, पालक का जाति प्रमाण-पत्र आदि को स्कूल के प्राचार्य अपने स्तर पर उपलब्ध कराएंगे, जबकि प्रारूप को भरने का कार्य स्कूल के शिक्षक का होगा। किसी प्रकार के दस्तावेज की कमी का निराकरण करना संबंधित पटवारी या राजस्व टीम का होगा। किसी विद्यार्थी के पालक का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होने पर पंचायत टीम या ग्रामसभा के जरिए अनुमोदन कराया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि संबंधित एसडीएम, तहसीलदार द्वारा ऑनलाइन जारी किए प्रमाण-पत्र की हार्ड कॉपी विद्यार्थियों को वितरित करने के बाद ही उसे पूर्ण माना जाएगा।