मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर
![संपत्ति की विरासत से संस्कारों की विरासत श्रेष्ठ- संजय गिरि संपत्ति की विरासत से संस्कारों की विरासत श्रेष्ठ- संजय गिरि](https://dailychhattisgarh.com/uploads/chhattisgarh_article/1681989519103.jpg)
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
चिरमिरी, 20 अप्रैल। 5-6 वर्ष की अवस्था में बच्चों को दिए गए विचार या संस्कार बच्चे के भावी जीवन में चरित्र निर्माण में केन्द्रीय भूमिका रखते है। भविष्य में उसका सकारात्मक-नकारात्मक होना, अच्छा-बुरा होना, जीवन मूल्यों के प्रति झुकाव होना आदि इन योग संस्कारों से भी प्रभावित होता है। अत: उन्हें बाल्यावस्था में ही योग के संस्कार में ढाल देना चाहिए। संपत्ति की विरासत से संस्कारों की विरासत अधिक महत्वपूर्ण है।
उक्त बातें योग सेवक संजय गिरि ने स्वामी आत्मानंद स्कूल गोदरीपारा चिरमिरी में बच्चों के समर कैंप के दौरान आयोजित योग शिविर में बुधवार को कही।
इस अवसर पर स्कूल के प्राचार्य डॉ. डी. के. उपाध्याय नें बच्चों से कहा कि आज समूचा विश्व योग करने को लालायित है। हम सबके लिए योग अत्यन्त जरूरी है। योग सेवा के क्षेत्र में श्री गिरि की कार्य अत्यन्त सराहनीय है। श्री गिरि ने बच्चों को खेल- खेल में बाल सुलभ सरल आसन, हाथ-पैर के सूक्ष्म व्यायाम, भ्रस्त्रिका, कपालभांति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, उदगीथ प्राणायाम व ध्यान के अभ्यास कराये व उनके लाभ बताये।