बेमेतरा

संतान की लम्बी उम्र के लिए माताओं ने उपवास रख सगरी की पूजा की
06-Sep-2023 3:44 PM
संतान की लम्बी उम्र के लिए माताओं ने उपवास रख सगरी की पूजा की

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 6 सितंबर।
जिले में विभिन्न स्थानों पर हलषष्ठी पर सगरी बनाकर उसमें जल अर्पित कर संतान की दीर्घायु व कुशलक्षेम की माताओं ने कामना की। शहर के अलावा लोलेसरा, बैजी, मोहभटठा, फ री, पिकरी, मानपुर व अन्य स्थानों पर पूजा अर्चना की गई। इस दैारान महिलाओं ने छह प्रकार की भाजियां व पसहर चावल का सेवन किया। नगर में 50 से अधिक स्थानों पर सगरी बनाकर विधि-विधान से पूजा की गई।

शहर में मंगलवार को पुरोहित बाड़ा वार्ड 20, पिकरी, मानपुर, नयापारा, ब्राह्मण पारा, पुलिस लाइन, गंजपारा, कृष्णा विहार कॉलोनी, बीटीआई कॉलोनी, महाराज निवास, मंदिर के सामने, शिव मंदिर परिसर, पुलिस लाइन समेत अनेक स्थानों पर सगरी बनाकर विप्र जनों के मार्गदर्शन में पूजा अर्चना की गई। पंडित श्रीनिवास द्विवेदी ने बताया कि इस दिन बिना हल चले धरती का अन्न व शाक, भाजी खाने का विशेष महत्व है। इस दिन गाय का दूध व दही का सेवन वर्जित माना गया है। इस दिन व्रत करने का विधान भी है। हलषष्ठी व्रत पूजन के अंत में हलषष्ठी व्रत की छ: कथाओं को सुनकर आरती आदि से पूजन की प्रक्रियाओं को पूरा किया जाता है।

शहर में लगभग 50 से अधिक जगहों पर सगरी पूजा 
हल षष्ठी पर जिले के आंगनबाडिय़ों में वजन त्यौहार के साथ वत्सला संस्था की ओर से 23 से अधिक ग्रामीण और शहरी केंद्रों में निशुल्क कमर छठ पूजन सामग्री वितरण स्टॉल लगाकर किया गया। वत्सला संस्था की अध्यक्ष ज्योति सिंघानिया और इकाई अध्यक्ष स्वीटी सलूजा ने बताया कि पर्व आयोजन के साथ बच्चों व महिलाओं को कुपोषण मुक्ति के प्रति जागरूक करके वत्सला की टीम ने पूजा सामग्री उपलब्ध कराया। इस दौरान प्रत्येक केंद्र स्टॉल पर 20 से 25 महिलाओं तथा आंगनबाड़ी कार्यकताओं, सहायिकायों की उपस्थिति में वितरण किया गया।

बच्चों की दीर्घायु के लिए व्रत रख, संतान की कंधा पर मारी पोथी
हलषष्टमी का पर्व महिलाओं ने अपने बच्चों की दीर्घायु के लिए दिनभर उपवास रखकर सगरी (तालाब) बनाकर फूल पत्तों से सजाकर पूजा-अर्चना की गई। उपवास धारी महिलाओं को छह प्रकार की कहानी सुनाई गई। बताया गया कि इन दिन महिलाएं बिना हल चले जमीन पर चलते है व बिना हल चले जमीन का चावल का उपयोग करती है। इस उपवास में महिलाएं छह प्रकार की भाजी व छह प्रकार की अनाज मौहा, लाई, चना, राहर, गेहूँ व तिवरा का भोग करते है। आचार्य प्रशांत तिवारी ने बताया कि भादो मास को कृष्ण पक्ष की षष्टी तिथि को भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। माता देवकी बलराम की रक्षा के लिए माता हलषष्ठी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की थी। इसलिए इस व्रत का नाम हलषष्ठी व्रत पड़ा है।

इस दिन माताएं अपने बच्चों की कंधे पर पोथी मारकर पूजा करने की भी प्रथा है।
 

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