धमतरी

कांग्रेस नेता के हाथों खिलाड़ी सम्मानित
22-Jan-2024 2:26 PM
कांग्रेस नेता के हाथों खिलाड़ी सम्मानित

नगरी ,22 जनवरी। रावनसिंघी (सिरसिदा) में आयोजित क्रिकेट मैच के दौरान आदिवासी कांग्रेस के प्रदेश सचिव टेश्वर सिंह ध्रुव द्वारा मैन ऑफ द मैच खिलाड़ी का सम्मान करते हुए।

बच्चों को छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति के बारे में बताया

 बेमेतरा, 22 जनवरी। चार दिवसीय छत्तीसगढ़ी भाषा एवं संस्कृति के विकास प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन डाइट द्वारा किया गया। जिले के अंतर्गत कुल 100 शिक्षकों ने भाग लिया। प्राचार्य जीके धृतलहरे ने छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को गांव-गांव तक ले जाने के लिए सभी शिक्षकों को बताया गया। छत्तीसगढ़ी भाषा प्रशिक्षण जिला नोडल थलज कुमार साहू ने छत्तीसगढ़ी भाषा पर अपनी बात रखते हुए बताया कि हमें स्कूली बच्चों को बोलचाल की भाषा और संस्कृति के प्रति जागरूक करना है। मास्टर ट्रेनर शीतल बैस, ईश्वर साहू, भुवन लाल साहू, सप्रे, गजानंद शर्मा ने छत्तीसगढ़ी बोली, वेश भूषा,खान पान, रहन-सहन, लोकगीत, लोक कला, खुरमी, ठेठरी,पाताल के चटनी, छतीसगढ़ी परिधान के बारे में बताया गया। मास्टर ट्रेनर शांत कुमार पटेल ने बताया कि छत्तीसगढ़ में बहुत ही सुंदर पर्यटक जगह, धार्मिक स्थल को बताया।  समापन अवसर पर डाइट प्राचार्य जी.के घृतलहरे, वरिष्ठ व्याख्याता डॉ. बसु बंधु दीवान, जीएल खुटियारे, सोनी, तुकाराम, श्रद्धा तिवारी, उषा किरण पांडे, यमुना जांगड़े, बहोरिक साहू, वर्मा, जिला प्रशिक्षण नोडल थलज कुमार साहू व्याख्याता उपस्थित रहे।

मित्रता निभाने की सीख कृष्ण-सुदामा से मिलती है - पाठक

बेमेतरा, 22 जनवरी। नौ दिवसीय श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठवें दिन कथा व्यास पीठाधीश्वर पं.श्रीकांत पाठक ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए। श्रीमद् भागवत कथा ऐसा ज्ञान है जिसके श्रवण मात्र से ही मनुष्य मोक्ष की प्राप्ति कर लेता है। भगवान कृष्ण के सामान कोई सहनशील नहीं है। क्रोध हमेशा मनुष्य के लिए कष्टकारी होता है। महाराज ने छठवें दिन भगवान कृष्ण के 16108 विवाहों का अलग-अलग विस्तृत वर्णन किया।  श्रीमद्भागवत कथा ऐसा ज्ञान है जिसके श्रवण मात्र से ही मनुष्य मोक्ष की प्राप्ति कर लेता है। भगवान कृष्ण के सामान कोई सहनशील नहीं है। क्रोध हमेशा मनुष्य के लिए कष्टकारी होता है। महराज ने छठे दिन कृष्णजी के 16108 विवाहों का अलग-अलग विस्तृत वर्णन किया गया। साथ ही कृष्ण भगवान के बाल सखा एवं उनके परम भक्त सुदामा जी के चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास पं पाठक जी ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान कृष्ण सुदामाजी से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र से सखा सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढऩे लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है।

अपना नाम सुदामा बता रहा है जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया।

सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। कृष्ण सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया हुआ।

उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। जब जब भी भक्तों पर विपदा आ पड़ी है। प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं। समस्त नगर वासियों के सानिध्य में चल रही 9 दिवसीय कथा छठे दिन शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुई। कथा व्यास पीठाधीश्वर ने कहा कि जो भी भागवत कथा का श्रवण करता है उसका जीवन तर जाता है।

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