धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरुद, 14 मार्च। पर्यावरण को होने वाले नुकसान को देखते हुए शासन ने मिट्टी से बने लाल ईंट के उपयोग पर रोक लगा दी है। इसके बदले प्लाई ऐश की ईंटों से सरकारी इमारतें बन रही है। पारम्परिक कुम्हारों को एक तय सीमा तक लाल ईंट बनाने की छुट दी गई है, लेकिन इसके आड़ में खुलेआम दूसरे लोग ईंट भट्टा का कारोबार कर नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
ज्ञात हो कि खनिज एवं राजस्व विभाग की मेहरबानी से क्षेत्र में सैकड़ों की तादात में ईंट भ_े संचालित हो रहे हैं। कुछ गांवों में तो बस्ती के बीचोबीच भ_ा लगा रखा है। सांसद आदर्श ग्राम चर्रा में पंचायत भवन के किनारे और शासकीय विद्यालय के सामने ही लाल ईंट बनाने और पकाने का काम जारी है। जिसको लेकर कुछ ग्रामीण और विधार्थियों की शिकायत है कि भ_े से धुआं और राखड उडक़र स्कूल एवं घर तक पहुंच रहा है। महानदी किनारे के गांवों में तो अवैध ईंट का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। माइनिंग एवं राजस्व विभाग इसमें रोकथाम लगाने की दिशा में क्या कर रहा है? इस सवाल के जवाब में तहसीलदार मनोज भारद्वाज ने बताया कि शिकायत मिलने पर हमने सिर्री में भट्टे बंद कराया है। बाकी गांवों से रिपोर्ट मंगवा अवैध ईंट भ_ों के खिलाफ कार्रवाई होगी। धमतरी प्लाई ऐश ब्रिक्स एसोसिएशन अध्यक्ष बाबूलाल साहू ने बताया कि कल-कारखानों से निकलने वाली राख से हम ईंट बना पर्यावरण की रक्षा कर रहे हैं। निर्माण एजेंसियों की गाइड लाइन के मुताबिक गोरवमेंट बिल्डिंग में काली ईंट ही लगाना है लेकिन अधिक कमाई करने ठेकेदार लाल ईंट का उपयोग कर रहे हैं। एसोसिएशन का आरोप है कि संबंधित अधिकारियों की मिली भगत से क्षेत्र में लाल ईंट बनाने का कारोबार बड़े पैमाने में चल रहा है, जिससे पर्यावरण संतुलन बिगडऩे की आशंका है।