महासमुन्द
नहरों को दुरुस्त करने मजदूरनहीं, कोडार जलाशय से पानी छोडऩे पर संशय
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,19 अप्रैल। नहरों की मरम्मत कराने श्रमिक नहीं मिलने के कारण कोडार बांध से निस्तारी के लिए अभी तक पानी नहीं छोड़ा जा सका है। विभाग वजह बताता है कि सारे श्रमिक चुनाव ड्यूटी पर हैं। ऐसे में यदि पानी छोड़ा जाता है तो नाला या अन्य जगहों पर बह जाएगा। ग्रामीण भी निस्तारी के लिए पानी की मांग कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब के सूख जाने से पशुओं को भी पानी की आवश्यकता है। पानी के लिए कई बार वन्य जीव शहर की ओर आ रहे हैं। ग्रामीण लगातार तालाबों में पानी भरने की मांग कर रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार कोडार बांध में 11.90 फीट पानी ही शेष रह गया है। तालाबों में पाानी भरने के लिए एलबीसी गेट से पानी छोड़ा जाएगा। एलबीसी गेट से पानी का बहाव ज्यादा मात्रा में होता है। इस कारण जमा पानी के व्यर्थ बह जाने का डर है। वर्तमान में ज्यादातर श्रमिक निर्वाचन कार्यों में व्यस्त हैं। श्रमिक पेटी उठाने और साफ. सफाई के कार्यों में लगे हुए हैं। इस कारण विभाग को नहरों को बांधने के लिए श्रमिक नहीं मिल रहे हैं। शहर के आसपास के गांव के तालाब पूरी तरह से सूख गए हैं। ग्रामीण आसपास के बोर से पानी पीने की व्यवस्था कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में निस्तारी की समस्या सामने आ रही है। प्रतिदिन लोग पानी की मांग लेकर पहुंच रहे हैं।
कोडार शाखा का कहना है कि एक सप्ताह पूर्व ही पानी छोड़ दिया जाता। लेकिन नहरों को दुरुस्त मार्च महीने में ही कराया गया है।
पिछले वर्ष 18 अप्रैल की स्थिति में कोडार में 13.7 फ ीट पानी था। निस्तारी के लिए पानी छोडऩे के बाद कोडार बांध में पानी की मात्रा और कम हो जाएगी। दो वर्ष पहले कोडार जलाशय में पानी की मात्रा पांच फ ीट तक चला गया था। इस कारण जल संसाधन विभाग भी पानी बचाने का प्रयास कर रहा है। इस साल मार्च महीने में ही तालाब सूख गए थे। जिन खेतों में बोर का पानी चल रहा है, लोग उसी से काम चला लेते हैं। अभी तक अछोला, अछोली, कांपा, मुस्की गांव के लोग पानी की मांग कर चुके हैं और आवेदन भी कर चुके हैं।
जल संसाधन विभाग के मुताबिक किसानों को रबी फसल के लिए आरबीसी गेट से पानी दिया जा रहा है। रबी फसल के लिए पानी छोडऩे के पूर्व कोडार बांध में 21 फीट पानी था। जनवरी माह से ही पानी समय-समय पर किसानों को दिया जा रहा है। किसानों ने पानी की मांग को लेकर आंदोलन भी किया था। ज्यादातर किसानों ने धान की फसल ली है। धान की फसल के लिए पानी की अधिक आवश्यकता होती है। अभी स्टॉफ व श्रमिकों की कमी है। अधिकतर श्रमिक चुनाव ड्यूटी में हैं। जैसे ही नहरों को दुरुस्त कर लिया जाएगा, तत्काल तालाबों को पानी छोड़ दिया जाएगा।