सामान्य ज्ञान
आजकल ई-टिकट यानी इलेक्ट्रॉनिक टिकट का जमाना है। हर कोई रेल यात्रा के दौरान टिकट रिजर्वेशन के लिए कंप्यूटर का इस्तेमाल कर रहा है। रिजर्वेशन के दो ऑप्शन हैं। ई-रिजवेर्शन और आई-रिजर्वेशन। भले ही दोनों रिजर्वेशन घर बैठे कंप्यूटर से कराए जाते हैं लेकिन इनमें कुछ अंतर भी हैं।
1.- अगर आप फिजिकल टिकट चाहते हैं और टिकट विंडो पर जाने से भी बचना चाहते हैं तो ऐसे में आई-टिकट बेहतर विकल्प है। इस टिकट के साथ यात्रा करने पर कोई आईडी प्रूफ दिखाने की जरूरत नहीं है। लेकिन ई-टिकट के साथ यात्रा करने के दौरान संबंधित यात्री का अपना आईडी प्रूफ होना चाहिए।
2.- आई-टिकट दिए गए पते पर पोस्ट से पहुंचता है। आई-टिकट के लिए यात्रा से तीन दिन पहले बुकिंग करवानी पड़ेगी जबकि ई-टिकट यात्रा के कुछ घंटों पहले भी लिया जा सकता है।
3.- आई-टिकट के लिए डाक खर्च भी भरना पड़ता है, जबकि ई-टिकट में काम प्रिंटआउट या एसएमएस से भी चल सकता है।
4.- ई-टिकट के कई प्रिंट निकाले जा सकते हैं। आई-टिकट दोबारा लेने के लिए आपको फिर से चार्ज देना होगा। दोबारा आई-टिकट पाने के लिए आपको अपना पीएनआर नंबर भी याद होना चाहिए।
रेल यात्रा के विभिन्न कोटे
हर ट्रेन में कई तरह के रिजर्वेशन कोटे होते हैं जिन्हें शॉर्ट फॉर्म में जाना जाता है जैसे कि
LD:लेडीज कोटा।
HQ:हाई ऑफिशल या हेडक्वार्टर कोटा।
DF:डिफेंस कोटा।
OS:आउट स्टेशन कोटा।
RS:रोड साइड कोटा, बड़े स्टेशनों के बीच के ऐसे स्टेशन जो कंप्यूटराइज्ड नेटवर्क से न जुड़े हों तब उन्हें रोड साइड कोटे में रख कर टिकट रिजर्व किए जाते हैं। इनमें वेटिंग लिस्ट भी होती है।
PH:पार्लियामेंट हाउस कोटा।
FT:फॉरेन टूरिस्ट कोटा।
DP:ड्यूटी पास कोटा।
HP:हैंडिकैप कोटा।
SS:सीनियर सिटीजन कोटा।