सामान्य ज्ञान
नीलगिरि पहाडिय़ां तमिलनाडु राज्य का पर्वतीय क्षेत्र है। यह सुदूर दक्षिण की पर्वत श्रेणी है। इन पहाडिय़ों पर पश्चिमी एवं पूर्वी घाटों का संगम होता है। प्राचीन काल में यह श्रेणी मलय पर्वत में सम्मिलित थी। कुछ विद्वानों का अनुमान है कि महाभारत, वनपर्व में कर्ण की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में केरल तथा तत्पश्चात नील नरेश के विजित होने का जो उल्लेख है, उससे इस राजा का नील पर्वत के प्रदेश में होना सूचित होता है।
दोदाबेटा नीलगिरि पहाडिय़ों की सर्वोच्च चोटियों में गिनी जाती है। भारत की टोडा जनजाति इस पर्वत श्रेणी के ढलानों पर रहती है। नीलगिरि पहाडिय़ों को ब्लू माउण्टेंस भी कहा जाता है। इसकी चोटियां आस-पास के मैदानी क्षेत्र से अचानक उठकर 1800 से 2400 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचती हैं। इनमें से एक 2 हजार 637 ऊंची दोदाबेटा चोटी तमिलनाडु का शीर्ष बिन्दू है। नीलगिरि पहाडिय़ां पश्चिमी घाटी का हिस्सा हैं और नोयर नदी इन्हें कर्नाटक के पठार (उत्तर) तथा पालघाटी इन्हें अन्नामलाई, पालनी पहाडिय़ों (दक्षिण) से अलग करती है।
नीलगिरि पहाडिय़ां आस-पास के मैदानी क्षेत्र के मुक़ाबले ठंडी और नम हैं। ऊपरी पहाडिय़ां लहरदार घास के क्षेत्रों का निर्माण करती हैं। इन पर चाय, सिनकोना , कॉफ़ी और सब्जिय़ों की व्यापक खेती होती है।